आद्रा : होम का मतलब है घर, निवासी परिवार। यह कहना सिर्फ शब्द नहीं हैं। आद्रा मणिपुर के कुंठ पुनर्वासन केंद्र द्वारा संचालित ‘अरुणोदय शिशु निकेतन’ गृह के निवासियों ने एक लड़की की शादी करवा अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को सही अर्थों में पूरा किया।
उस घर की रहने वाली प्रीति साव और संतालडीही थाना के उपरडी गांव निवासी रंजीत बाउरी की शादी उनके होम के साये में हुई। होम के 44 साल के इतिहास में यह पहली बार है।
जानकारी के अनुसार करीब दस साल पहले एक दुर्घटना में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद, प्रीति ने शहर के रघुनाथपुर के टूटी इलाके में स्थित अपना घर छोड़ दिया। प्रशासन ने बाकी चारों भाई-बहनों को आद्रा मणिपुर अरुणोदय होम भेज दिया। प्रीती ने घर से ही स्थानीय स्कूल से पढ़ाई कर हाईस्कूल पास किया है। फिलहाल वह नर्सिंग की पढ़ाई करने की कोशिश कर रही हैं।
पात्र रंजीत रघुनाथपुर के नतुनडी इलाके में एक निजी कंपनी के स्टील फैक्ट्री में कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि दस साल पहले वह प्रीति के पिछले घर के इलाके में एक रिश्तेदार के घर में रहते थे। तभी से उनकी मुलाकात प्रीति के साथ होती रही। प्रीति का जीवन संघर्ष रंजीत को आकर्षित किया। उन्होंने कहा, “अनाथ होने के बावजूद प्रीति का अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास सबसे दिलचस्प है। नौकरी मिलने के बाद मैंने उससे शादी करने का फैसला किया।”
स्थायी पता मिलने पर प्रीति कहती हैं, “रंजीत को मेरे सपने के बारे में पता है और वह इस पर सहमत है। घर में अपने भाई-बहनों का जीवन बसाने के लिए मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।”
रविवार को रंजीत और प्रीति ने रघुनाथपुर 2 ब्लॉक के बगरायचंडी मंदिर में शादी कर ली। मौके पर दूल्हे पक्ष के लोग थे। प्रीति के साथ गृह सचिव नवकुम�