कोलकाता, 17 दिसंबर, 2024: पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन, पश्चिम बंगाल में कोल्ड स्टोरेज का एकमात्र सक्रिय संगठन है। इस संगठन की ओर से मंगलवार को कोलकाता प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें किसानों, उपभोक्ताओं और आम जनता का ध्यान पश्चिम बंगाल से आलू की अंतर-राज्यीय आवाजाही पर हाल ही में लगाए गए सरकारी प्रतिबंध से लगातार हो रहे गंभीर नुकसान की ओर आकर्षित किया गया।
इस संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने वाले संगठन के सदस्यों में सुभाजीत साहा (उपाध्यक्ष, डब्ल्यूबीसीएसए), पतित पबन दे, गोबिंद कजारिया (पूर्व अध्यक्ष, डब्ल्यूबीसीएसए), दिलीप चटर्जी, प्रदीप लोढ़ा (डब्ल्यूबीसीएसए की जिला समितियों के अध्यक्ष) स्वरुप कुमार नायक एवं एस.के. जियाउर रहमान (कार्यकारी समिति के सदस्य) के साथ एसोसिएशन के अन्य प्रतिष्ठित सदस्य इस मौके पर मौजूद थे।
पश्चिम बंगाल में आलू का उत्पादन पारंपरिक रूप से 60:40 के अनुपात में होता है, जिसमें 60% राज्य के भीतर खपत होता है और शेष 40% का व्यापार अन्य राज्यों के साथ होता है। हालाँकि, इस राज्य में कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में संग्रहीत आलू के स्टॉक में संभावित कमी की आशंका जाहिर करते हुए आलू को अन्य राज्यों में भेजने पर सरकार की ओर से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया।
बंगाल में मुख्य रूप से खपत की जाने वाली आलू की किस्में ज्योति और चंद्रमुखी हैं, जबकि बांकुड़ा, मेदिनीपुर, बर्धमान (गुस्करा ब्लॉक) के कुछ हिस्सों और हुगली (गोघाट ब्लॉक) जैसे क्षेत्रों में उगाई जाने वाली अन्य किस्मों के आलू की फसलों का व्यापार आमतौर पर पड़ोसी राज्यों में किया जाता है। सरकार के इस प्रतिबंध ने इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आलू के व्यापार में व्यवधान पैदा किया है। आलू के बड़े स्टॉक कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में अब भी रखे जा रहे हैं, जो दिसंबर 2024 के अंत में नई फसल आने से पहले इनके न बिकने की आशंका है। अगर ये स्टॉक नई फसल आने के बाद भी कोल्ड स्टोरेज में पड़े रह गए, तो इनके खराब होने का खतरा बढ़ जाएगा। जिसके परिणामस्वरूप किसानों/किराएदारों और कोल्ड स्टोरेज संचालकों दोनों को काफी वित्तीय नुकसान होगा।
इस अवसर पर पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुभाजीत साहा ने कहा, अंतर-राज्यीय आलू की आवाजाही पर प्रतिबंध से पश्चिम बंगाल में कोल्ड स्टोरेज उद्योग को अपूरणीय क्षति हो रही है। दक्षिण बंगाल में, विशेष रूप से बांकुड़ा, मेदिनीपुर और बर्धमान और हुगली के कुछ हिस्सों में मौजूद कोल्ड स्टोरेज सरकार के इस निर्णय के कारण इसका पूरा खामियाजा भुगत रहे हैं।
आलू के बड़े स्टॉक के बिना इस्तेमाल के पड़े रहने से किसानों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के किसानों के पास अन्य कोई सहारा नहीं बचा है। कोल्ड स्टोरेज उद्योग पहले से ही कम ऑक्यूपेंसी दरों की चुनौती का सामना कर रहा है। ऊपर से सरकारी प्रतिबंध ने एक नया संकट पैदा कर दिया है। यदि इन स्टॉक को अभी खाली नहीं किया जाता है, तो भविष्य में इसकी बिक्री में कमी आएगी और आलू खराब हो जाएगा, जिससे आलू उत्पादक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों ही तबाह हो जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, आलू की स्थिर कीमतों को सुनिश्चित करने और फसलों की बर्बादी को कम करने में कोल्ड स्टोरेज सिस्टम काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौजूदा स्थिति के कारण कई लोगों की आजीविका खतरे में पड़ रही है। सरकार ने जल्द हैं इस प्रतिबंध पर पुनर्विचार नहीं किया तो, हमें डर है कि इसके परिणाम पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था और किसान दोनों के लिए विनाशकारी होंगे।
पश्चिम बंगाल में कोल्ड स्टोरेज उद्योग पहले से ही कई मुद्दों के कारण समस्या से जूझ रहा है। इस स्थिति में सरकारी प्रतिबंध से स्थिति और खराब होने की संभावना है। खासकर दक्षिण बंगाल क्षेत्र में। कोल्ड स्टोरेज संचालक और किसान इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि अगर स्थिति का तुरंत समाधान नहीं किया गया तो, उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ने सरकार के आला अधिकारियों से आलू के व्यापार पर प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है, क्योंकि आलू उत्पादकों, व्यापारियों और सामान्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसके कारण पद रहा नकारात्मक प्रभाव लगातार गंभीर होता जा रहा है।