पश्चिमबंग हिंदी अकादमी ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस

 

कोलकाता 1 अक्तूबर।पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग के अंतर्गत पश्चिमबंग हिंदी अकादमी ने अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस पर अपने सभागार में विशेष आयोजन किया जो तीन सत्रों में विभाजित था।

 इस मौके पर कार्यक्रम समन्वयक रावेल पुष्प ने स्वागत वक्तव्य रखते हुए कहा कि मूल लेखक के साथ अनुवादकों को वो महत्व नहीं मिल पाता, जो उसे मिलना चाहिए। अनुवाद ही है जो हमें एक से दूसरी भाषा, साहित्य, संस्कृति से परिचित कराता है। कविगुरु रवीन्द्र नाथ ठाकुर को गीतांजलि पर नोबेल पुरस्कार मिलने के पीछे अनुवाद की बड़ी भूमिका रही। वहीं अभी हाल के वर्षों में गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘रेत समाधि’ पर बूकर पुरस्कार मिला, जिसके लिए डेज़ी राॅक्वेल के अनुवाद “टॉम्ब ऑफ़ सैंड” की भूमिका रही।

 हिन्दी अकादमी के सचिव गिरधारी साहा ने कहा कि अनूदित रचनायें तो हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन अनुवाद का कोई अन्तर्राष्ट्रीय दिवस भी मनाया जाता है,ये बहुत कम लोगों को पता है।

हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विजय कुमार भारती की अध्यक्षता और सौम्यजीत आचार्य के संचालन में हुए प्रथम सत्र में इस वर्ष की थीम – आवश्यक है अनुवाद कला का संरक्षण, जिसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें शामिल थे- सर्वश्री तृष्णा बसाक , नवनीता सेनगुप्ता, रेशमी पांडा मुखर्जी, तन्मय बीर तथा चंद्रशेखर भट्टाचार्य। इस चर्चा के दौरान ये बातें उभर कर सामने आईं कि अनुवादक का नाम पहले किताब में होता ही नहीं था, अगर कहीं होता भी था तो पुस्तक के अंदर कहीं भी। लेकिन अब काफी हद तक यह मान्यता मिलनी शुरू हुई है, लेकिन अभी भी अनुवादक को अपनी पहचान और वाजिब हक के लिए एक तरह से संघर्ष करना ही पड़ रहा है। सभी चर्चाकारों ने इस मुद्दे पर विभिन्न कोणों से अपनी बातें रखीं।

 कार्यक्रम के दूसरे सत्र में लिपिका साहा द्वारा बांग्ला से हिंदी में अनूदित दो पुस्तकों का लोकार्पण किया गया-  समकालीन बांग्ला स्त्री कविता और वाणी बसु की चुनिंदा कहानियां ।

तीसरा सत्र अनुवाद कविताओं को समर्पित था,जिसमें शामिल थे-  सर्वश्री फटिक चौधरी, सुधांशु रंजन साहा,सूक्ति राय, संहिता बंदोपाध्याय, पूर्वा दास, जीवन सिंह तथा सुपर्णा बोस।

इसमें नगर के विशिष्ट लोगों की उपस्थिति रही, जिसमें शामिल थे- सर्वश्री सविता पोद्दार, नुपुर तिवारी, डॉ उर्वशी श्रीवास्तव,उषा जैन, दयाशंकर मिश्रा, डॉ नगेन्द्र कुमार, अशोक कुमार सिंह, विनोद रजक, श्वेता गुप्ता, विनोद यादव, शाहिद फ़रोगी, प्रदीप कुमार धानुक,राम नारायण झा तथा अन्य।

कार्यक्रम के अन्त में हिंदी अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी उत्पल पाल ने सभी को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए धन्यवाद  ज्ञापित किया।

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