रानीगंज।अखिल भारतीय मजदूर कल्याण सेवा संघ नामक एनजीओ द्वारा धड़ल्ले से सरकारी मुहर अशोक स्तंभ और राष्ट्रीय झंडा गैर कानुनी तरीके से लगाकर लोगों को सरकारी एनजीओ बताकर संस्था में जोड़ने को लेकर एक बार फिर यह मामला सामने आया है। आपको बताते चले कि यह एनजीओ के अधिकारी सुजीत मोदी, मेन गेट लिंक पार्क ,दुर्गापुर में रहने वाले के ऊपर इससे पहले भी अखबार में खबर छपी थी कि यह इनके साथियों के साथ मिलकर एनजीओ के नाम से भोले भाले लोगों को सरकारी मुहर लगाकर अपने आप को सरकारी अधिकारी बताकर एनजीओ में जोड़ता था और लोगों की समस्याओं को निपटाने के नाम से लोगों से पैसे वसूलता था। अखबार में खबर छपने के बाद भी यह सुजीत मोदी ने कहा कि इनकी पहुंच भारत सरकार के अधिकारियों तक है । लेकिन जब मामला भारत सरकार के संज्ञान में आया तो शक्त निर्देश दिया गया कि इस तरह कोई भी एनजीओ अशोक स्तंभ और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग नहीं कर सकता ,अगर ऐसा करते हुए दुबारा पाया गया तो कार्यवाही हो सकती हैं। लेकिन बात यहीं नही रुकती , सवाल यह है कि इस तरह से सुजीत मोदी ना जाने कितने दिनों से ऐसे कामों को अंजाम देकर कितने लोगों को संस्था में जोड़ा और कितनी राशि उगाही की इसपर अब भी प्रशासन चुप क्यों हैं, सुजीत मोदी ने अपने पते पर संस्था का बैंक खाता भी खुलवाया है जिस पर प्रशासन की नजर है अब तक इसपर कार्यवाही क्यों नही हुई जबकि भारत सरकार ने साफ शब्दों में इसे गलत करार दिया है ।इस मामले में कोल इंडिया में कार्यरत कैलाश जैसवारा के ऊपर भी सरकार द्वारा नोटिस जारी किया गया है कि सरकारी मुहर का प्रयोग न करें। आखिर सवाल यह भी है कि कोल इंडिया जैसे सरकारी कर्मचारी होकर कैलाश जैसवारा इस तरह के मामले में लिप्त पाया जाता है ।
गौरतलब है कि सुजीत मोदी के ऊपर इससे पहले अपनी बहन पर जमीन विवाद में जानलेवा हमला करने का आरोप है