कोलकाता । देश की आजादी की लड़ाई के गौरवशाली इतिहास से जुड़े कोलकाता की ऐतिहासिक अलीपुर जेल की किसी भी दीवार को तोड़ने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। सोमवार को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि अलीपुर सेंट्रल जेल विरासत है और इसकी एक भी ईंट को अब राज्य सरकार हाथ नहीं लगा सकेगी।
दरअसल इस जेल को दक्षिण 24 परगना के बारुइपुर में शिफ्ट कर दिया गया है जिसकी वजह से राज्य सरकार इसके निर्माण को तोड़ने का काम कर रही थी। इसी के खिलाफ याचिका लगाई गई थी जिस पर सोमवार को कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जेल की संरचना और यहां मौजूद हेरिटेज सामग्रियों को भी संरक्षित करना होगा। राज्य सरकार ने 108 एकड़ में बनी इस औपनिवेशिक जेल को म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसके लिए पहले ही कैदियों को बारुइपुर में बनी नई जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। आरोप है कि कई निर्माण को तोड़कर यहां राज्य सरकार अपने हिसाब से इमारत निर्माण की कोशिश कर रही है। इसी पर मुख्य न्यायाधीश ने साफ कहा कि जेल की एक ईंट को भी राज्य सरकार हाथ नहीं लगा सकेगी। मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होनी है।
उल्लेखनीय है कि अलीपुर सेंट्रल जेल अंग्रेजी हुकूमत के लिए भारतीय क्रांतिकारियों को रखने की सबसे सुरक्षित पनाहगाह थी। यहां खुदीराम बोस से लेकर कई बड़े क्रांतिकारी सजा काट चुके थे इसलिए इस इमारत का विशेष ऐतिहासिक महत्व रहा है।