
रानीगंज। हाल ही में एक महत्वपूर्ण केस में वरिष्ठ वकील मदन लाल गुप्ता और अधिवक्ता परितोष शेखर सिंह ने अपने उत्कृष्ट कानूनी कौशल और गहरी विधिक समझ का प्रदर्शन किया, जिससे उनके मुवक्किल लक्ष्मीकांत बाउरी को न्याय मिला। यह मामला आईपीसी की धारा 376 के तहत दर्ज किया गया था, लेकिन इन दोनों अनुभवी वकीलों ने अपने तार्किक तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर साबित कर दिया कि यह मामला गलत तरीके से दर्ज किया गया था। मदन लाल गुप्ता और परितोष शेखर सिंह ने इस मामले में गंभीरता से अध्ययन किया और यह साबित किया कि इस केस के तथ्य और साक्ष्य धारा 376 के लिए आवश्यक तत्वों को पूरा नहीं करते। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह मामला धारा 354 के अंतर्गत आता है और इस आधार पर लक्ष्मीकांत बाउरी की गिरफ्तारी और हिरासत आवश्यक नहीं थी। मदन लाल गुप्ता और परितोष शेखर सिंह ने न केवल कानूनी बारीकियों को समझा, बल्कि उन्होंने कोर्ट में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत भी किया। उनके द्वारा पेश किए गए तर्कों और साक्ष्यों ने यह दिखाया कि शिकायतकर्ता की ओर से किए गए आरोपों में गंभीर विरोधाभास हैं और मेडिकल परीक्षण कराने से इंकार ने उनके आरोपों की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस केस में न्यायाधीश ने भी मदन लाल गुप्ता और परितोष शेखर सिंह के तर्कों को सराहा और लक्ष्मीकांत बाउरी को जमानत दे दी। जमानत मिलने के बाद लक्ष्मीकांत बाउरी ने अपने वकीलों का धन्यवाद किया और कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है। उन्होंने यह भी कहा कि वे आगे की कानूनी प्रक्रियाओं में अपनी निर्दोषता साबित करेंगे। लक्ष्मीकांत बाउरी ने कहा मुझे अपने वकीलों मदन लाल गुप्ता और परितोष शेखर सिंह पर गर्व है। उन्होंने मेरी सच्चाई को सामने लाने के लिए अथक प्रयास किए और मुझे न्याय दिलाया। मैं न्यायपालिका पर पूरा भरोसा रखता हूँ और मुझे यकीन है कि मैं जल्द ही पूरी तरह से निर्दोष साबित हो जाऊंगा। हाल के वर्षों में, यह देखा गया है कि कुछ लोग अपने व्यक्तिगत दुश्मनों को परेशान करने के लिए आईपीसी की धारा 376 का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे मामलों में झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और जीवन दोनों ही प्रभावित होते हैं। यह प्रवृत्ति न्यायिक प्रणाली के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इससे न केवल निर्दोष लोग परेशान होते हैं, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के न्याय पाने में भी कठिनाई होती है। आईपीसी की धारा 376 के तहत झूठे आरोप लगाने वाले मामलों की बढ़ती संख्या ने न्यायपालिका को इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि कैसे इस धारा का दुरुपयोग रोका जाए और निर्दोष लोगों को बचाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में साक्ष्यों की गहन जांच और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है ताकि झूठे आरोपों का पर्दाफाश हो सके और वास्तविक पीड़ितों को न्याय मिल सके। वरिष्ठ वकील मदन लाल गुप्ता और परितोष शेखर सिंह की इस शानदार सफलता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि न्याय के पथ पर सच्चाई और मेहनत से ही विजय प्राप्त की जा सकती है। उनके प्रयासों ने न केवल लक्ष्मीकांत बाउरी को न्याय दिलाया, बल्कि कानूनी प्रणाली में लोगों का विश्वास भी बढ़ाया है। न्यायपालिका और कानून के रक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे ऐसे मामलों में निष्पक्ष और सही निर्णय लें, ताकि समाज में न्याय की प्रतिष्ठा बनी रहे।
