कोलकाता, 01 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में प्रशासन किस तरह से पस्त हो गया है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीरभूम जैसे नरसंहार के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य भर में गैरकानूनी हथियारों की बरामदगी के ठोस निर्देश मिलने के बावजूद राज्य के विभिन्न हिस्सों में बमबारी नहीं थम रही। उत्तर 24 परगना के शासन क्षेत्र के तेहाटा गांव में गुरुवार रात भर बमबारी हुई है। आरोप है कि सत्तारूढ़ पार्टी के ही नेताओं को मौत के घाट उतारने के लिए उन्हीं की पार्टी के दूसरे गुट के लोगों ने रात भर बमबारी और हमले किए हैं। आरोप है कि बाइक सवार हमलावर उक्त नेता के घर आए थे लेकिन वह मौजूद नहीं थे जिसके बाद बमबारी की है। जिस नेता पर हमले की कोशिश की गई थी उनका नाम दिलीप घोष है। उनके परिवार में रंजीत घोष, प्रभाष घोष और पास में हकीम मोड़ल रहते हैं जो तृणमूल के नेता हैं। आरोप है कि इन पर हमले के लिए गुरुवार की आधी रात मुतालिब अली और गफ्फार अली अपने लोगों को साथ लेकर आए और बमबारी की।
बताया गया है कि करीब तीन साल पहले इसी गांव में रहने वाले अब्दुल समद अली नाम के एक नेता की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप मुतालिब पर ही लगा था। वह अब्दुल समद अली का भतीजा है। आरोप है कि लंबे समय से मुतालिब फरार था और कुछ महीने पहले ही घर लौटा था। आरोप है कि उसी मुतालिब ने अपने अन्य समर्थकों को साथ लेकर तृणमूल के दूसरे नेताओं के घर पर हमले किए हैं। यह भी आरोप है कि रात भर हमले की सूचना पुलिस को दी गई लेकिन ना तो थाने से लोग पहुंचे और ना ही वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई सुध ली।
उल्लेखनीय है कि बीरभूम नरसंहार की घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैरकानूनी बमों और बारूदों को बरामद करने के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके दो दिन पहले दक्षिण 24 परगना में रात भर बमबारी हुई थी। उसके पहले उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा में बमबारी हुई थी और अब शासन में हुई है।