वाराणसी ।योगी आदित्यनाथ के साथ इस बार 52 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिसमें वाराणसी से तीन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. योगी कैबिनेट 2.0 में वाराणसी की शिवपुर सीट से जीते अनिल राजभर और शहर उत्तरी सीट से जीते रविंद्र जयसवाल को जहां फिर मंत्री बनाया गया है, तो वहीं पहली बार बिना विधानसभा चुनाव लड़े हुए जिस चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है उनका नाम है दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’ है.
माना जा रहा है कि डॉक्टर दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ को पूर्व मंत्री नीलकंठ तिवारी की जगह योगी कैबिनेट में शामिल किया गया है. यानी नीलकंठ तिवारी की जगह उनको ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश किया गया. बता दें कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल में तिवारी को मंत्री बनाया गया था.
जानें कैसा है ‘दयालु’ का सियासी सफर
योगी सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्री बने दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ को लेकर बनारस के साथ पूर्वांचल में चर्चाओं का बाजार गर्म है. बता दें कि वह 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. उसके बाद 2017 के चुनाव से पहले उनके वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. उसके बाद उनको पूर्वांचल विकास बोर्ड में बड़ी जिम्मेदारी देकर भाजपा संगठन ने विश्वास जताया. जबकि 2022 के चुनाव में एक बार फिर उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
वैसे योगी कैबिनेट 2.0 में दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ को जगह मिलने के बाद पूर्वांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले लोग चौंक गए हैं. इस वक्त वह वाराणसी के डीएवी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल हैं. जबकि मूल रूप से गाजीपुर के सिवाना गांव के रहने वाले ‘दयालु’ ने अपनी प्राइमरी शिक्षा सीधा गांव से की है. इसके बाद उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्र नेता के तौर पर सियासत का ककहरा सीखा. वहीं, कई साल तक वह कांग्रेस के साथ रहे और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का दामन थाम लिया.
दयाशंकर मिश्र दयालु के पिता स्वर्गीय रामाधार मिश्रा रेलवे में टिकट निरीक्षक थे. वहीं, शंकर मिश्रा चार भाइयों में सबसे छोटे हैं. माना जा रहा है कि दयाशंकर मिश्र दयालु के रूप में भाजपा संगठन ने वाराणसी समेत पूर्वांचल में ब्राह्मण चेहरे को सक्रिय राजनीति में स्थापित किया है उन्हें राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया.