व्यंग्य —  फागुन खूब कटल चन्नी, अब पंजाब में ठंडई के जगह ठर्रा बनी !

होली रंगों का त्योहार है । भारत में बरसाने की और यूपी की  होली बड़ी मशहूर है । बरसाने की होली में लट्ठमार होली तो यूपी की होली में कपड़ा फाड़ होली का अलग ही जलवा है । इधर राजनीतिक होली भी इस साल होली में ही आई और अब तो बस सब और एक ही जोगीरा चल रहा जो कि – अखिलेश भैया है लाल पीले , चच्चा होई गए पियरका , ईवीएम में से भगवा निकला , स्वामी जी के चढ़ल उजरका ! वैसे तो राजनीतिक होली का अपना अलग ही आनंद है पर इस बार भांग के त्योहार पर होली पीकर साइकल ना चलाए ! ई सूचना अहित में जारी हो सकेला । पिछली बार जब होली पर  हम बिना मास्क लगाए मुंह पर रंग लगवा रहे थे तो एक बंदे ने कहा दो मास्क की दूरी ,  गज है  जरूरी । हम पूरा चकरा गए तब समझ आया की वो मायावती का समर्थक था और हाथी का प्रचार कर रहा था । उसके हाथ में नीला रंग था । वैसे त्योहारों पर साफ सफाई का भी अलग आनंद है अब आपियों से पूछिए की पंजाब में झाड़ू लगाकर उन्हें इस होली पर कैसा लग रहा ! झाड़ू का आविष्कार वास्तव में सफाई के लिए किया गया था। सुंताई तो यह बाद में करने लगी। सबसे पहले इसने एक कवि को कूटा। फिर वो छूटा तो कैप्टन से चिपक गई। उसके बाद नम्बर क्रिकेटर का आया। झाड़ू पीछे पड़ी, तो बेचारा क्लीन बोल्ड हो गया। लेकिन इन सबसे ज्यादा खराब हालत तो पन्नी की हुई। मानो झाड़ू का जनम ही इसे मिटाने को हुआ हो। दो जगह घुसी पड़ी थी, झाड़ू ऐसी चली कि दोनों जगह से ही पन्नी बाहर हो गई। लेकिन आगे परीक्षा झाड़ू की नहीं बल्की इसे उठाने वाले नए हाथों की है। डर तो यह है कि केजरीवाल के पहले कार्यकाल की ही तरह उड़ते पंजाब में भी सरकार की जगह सरकस ना चल पड़े और भगवंत गुरूओं का मान रखने के बजाय फिर से कॉमेडी ना करने लग जाए। अगर ऐसा हुआ तो पहले पछ्तावा अन्ना महान को हुआ था। अब गन्ना किसान को होगा। ऐसा हुआ तो संता-बंता के बाद भगवन्ता को भी उसी झाड़ू पर बैठकर वापस जाना पड़ेगा, जिसपर बैठकर वह सरदार भगतसिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलाँ के रास्ते चंडीगढ़ में जमने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे मेरी सलाह भगवंत मान को यह है कि वे शपथ ग्रहण के पहले 10 साल के पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी के पास जाकर मौन साधने की विद्या सीखले । और अगर बात न बने तो शपथ ग्रहण से पहले दो पैग मार लें उसके बाद शपथ ले और कहे कि मैं भगवंता केजरीवाल जी की शपथ लेता हूं की कभी झाड़ू को हाथ नहीं लगाऊंगा क्युकी मेरे हाथ में पैग होगा और पंजाब को नशामुक्त करूंगा । खूब पिऊंगा ,इतना पिऊंगा की पंजाब के लिए कुछ बचेगा ही नही । हमारी सरकार बन रही इस मौके पर मै आप सबके सामने सहपथ लेता हु कि हमेशा पंजाब के जनता के लिए  खड़े होकर काम करूंगा क्युकी पीने के बाद मुझसे बैठा नहीं जाता । उधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी शपथ ले रहे होंगे और उसके बाद बुलडोजर संग रोलर की जुगलबंदी भी दिखेगा । फगुआ में यह जुगलबंदी कमाल करेगा ।  हर व्यक्ति की अपनी एक खासियत होती है,सो बुलडोजर बाबा की भी है। जितने यह खुद मशहूर हैं,उनकी मशीन भी अब तकरीबन उतनी ही मशहूर हो चुकी है। भ्रष्टाचार की बुनियाद को जड़ से खोद डालने की बाबा की नीति और नीयत दोनों पर अब तो जनता भी अपनी सहमति की मोहर लगा चुकी है बाबा का बुलडोजर खुदाई नहीं पिसाई करता है ।खुदाई से दरकने वाली परतों के टूटने का खतरा होता है इस  पर रोलर चलाकर दोबारा पनपने की उनकी बाकी संभावनाओं को भी  समाप्त करने की तैयारी है । समझा यह जा रहा है कि बुलडोजर बाबा इस बार यह इन्तजाम भी कर सकते हैं। नई सरकार में यह नई व्यवस्था किसके जिम्मे जाएगी यह तो तारीख ही बताएगी,पर इस जुगलबन्दी के अनुमान भर से ही फगुआ रंगत के बावजूद कइयों के चेहरे का रंग उतरने लगा है। आप सबको होली के रंग बिरंगे पर्व की अनंत बधाई । होली जरूर मनाए  पर यह ध्यान रहे कि किसी को ठेस न पहुंचाए और अगर किसी को ठेस पहुंचे तो तत्काल बोल दें बुरा न मानो होली है ।
                   पंकज कुमार मिश्रा  शिक्षक एवं पत्रकार जौनपुर ।

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