कोलकाता,11 मार्च। कोलकाता की प्रसिद्ध सृजनशील एवं साहित्यिक संस्था बंगीय हिंदी परिषद में मासिक काव्य गोष्ठी कविकल्प का आयोजन तथा महानगर की प्रसिद्ध साहित्यकार एकता बृजेश गिरि जी की पुस्तक ‘आवरण’ का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकारों के करकमलों से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध कवयित्री उषा जैन ने की।विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्योदय रांची की प्रभारी एवं प्रदेश संयोजक डाॅ. रजनी शर्मा ‘चंदा’ उपस्थित थीं। मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. शिप्रा मिश्रा और श्रीमती श्रद्धा टिबरेवाल उपस्थित थीं। स्वागत वक्तव्य में परिषद के मंत्री डाॅ. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने सभी कवियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए परिषद के ऐतिहासिक महत्व से श्रोताओं को अवगत कराया।
कार्यक्रम की शुरुआत रूपम महतो की सरस्वती वंदना से हुई। अध्यक्षीय वक्तव्य में श्रीमती उषा जैन ने कविताओं की समीक्षा करते हुए कहा कि कविता वह फूल है, जो बड़े संघर्ष और मेहनत के बाद खिलता है। उपस्थित कवियों में रामा कांत सिन्हा, मौसमी प्रसाद, प्रणति ठाकुर, नन्द लाल रौशन, नन्दू बिहारी, सीमा शर्मा, प्रदीप कुमार धानुक, परेश पटियालवी, ओम प्रकाश चौबे, एकता गिरि, बृजेश गिरि, मनोज मिश्र, राम पुकार सिंह, हीरालाल जायसवाल, बंदना पाठक, रणजीत भारती, वदूद आलम, रणजीत कुमार संकल्प, सुभाष चन्द्र शुक्ल, शकील गोंडवी, नारायण शाह, कृष्णा शाह, चंद्रिका प्रसाद ‘अनुरागी’, सहर मजीदी, नज़ीर राही तथा ज़ोया अहमद आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम का सफल संचालन कविकल्प की संयोजिका श्रीमती मौसमी प्रसाद और परिषद की साहित्य मंत्री प्रो. दिव्या प्रसाद ने किया। तथा धन्यवाद ज्ञापन परिषद के आजीवन सदस्य श्री कृष्ण कुमार दुबे ने किया।