रानीगंज/ विश्व मातृ दिवस के अवसर पर प्रधानाध्यापक प्रदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि जन्म लेने के बाद बच्चे जो प्रथम भाषा,बोली सीखता है, उसे मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक भाषाई पहचान तथा सामासिक संस्कृति होती है। इन सभी क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और इन्हें उपयोग करने में थोड़ा भी नहीं सकुचाना चाहिए। जिस भाषा में मां सोचती है,विचारती है वही बच्चे की मातृभाषा होती है। हमें अंगिका,बज्जिका, मगही, भोजपुरी, बंगाली इत्यादि भाषाओं पर गर्व करना चाहिए और उन्हें बचाने और आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहिए। हमारी पहचान, हमारी विविधता, हमारी संस्कृति हमारी भाषाओं में निहित है।
