विसंगतियों की गाँठ को बड़े धीरज, धैर्य और सावधानी से शांतिपूर्वक खोलने की जरूरत ; डॉ. अलका सरावगी

 

 

आज बहुत जरूरी है कि हम अपने बच्चों को अपना इतिहास बताएँ: बोलीं डॉ. अलका सरावगी
 कोलकाता ; अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के केंद्रीय कार्यालय सभागार में दिनांक 13 अक्तूबर को ‘सामाजिक परिवर्तन और आज की चुनौतियाँ’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव कुमार लोहिया ने किया। सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष सराफ ने दुपट्टा पहनाकर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव कुमार लोहिया ने शाल भेंटकर डॉ. अलका सरावगीका सम्मान किया। श्री लोहिया ने सभी उपस्थित महानुभावों का अभिनंदन करते हुए कहा कि समाज गतिशील है और परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है। आज हमें यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि परिवर्तन की लगाम हमारे हाथ में है या परिवर्तन हमें संचालित कर रहा है। समाज में जो विसंगतियों की गाँठ पड़ गई है, उसे बड़े धीरज, धैर्य एवं सावधानी से शांतिपूर्वक खोलने की जरूरत है। हमें हमारे भाषा, संस्कार एवं संस्कृति को बचाए रखने की जरूरत है। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री केदार नाथ गुप्ता ने डॉ. अलका सरावगी के रचना संसार से उपस्थित श्रोताओं को परिचित कराया।

 

प्रबुद्ध चिंतक एवं साहित्यकार प्रधान वक्ता डॉ. अलका सरावगी ने संगोष्ठी में अपना वक्तव्य देते हुए कहती हैं कि आज बाजारवाद के युग में उपभोक्तावाद बढ़ा है तो समाज में बिखराव आया है। आज बच्चे दुनिया के तौर-तरीके के साथ चलना चाहते हैं। आज हम खुद अपने इतिहास को ध्वस्त कर रहे हैं, जबकि बहुत जरूरी है कि हम अपने बच्चों को अपना इतिहास सुनाएँ। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित अपने उपन्यास ‘कलि-कथा वाया बाइपास’ के एक अंश का पाठकर वें बताती हैं कि कैसे हम अपने मूल्यों को भुला रहे हैं। हमारी भाषा की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं, वह रस देती हैं। जब हम उसका रस लेने लगते हैं तो वह हमें आनंदित करती है।
सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष श्री संतोष सराफ ने कहा कि सम्मेलन हमेशा से समाज-सुधार लेकर चला है। आज हमें समाज में पनपी नई कुरीतियों को रोकने की आवश्यकता है। विचारों से ही इसे रोका जा सकता है।

 


साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका ‘वैचारिकी’ के संपादक डॉ. बाबूलाल शर्मा ने भारतीय विद्या मंदिर से प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘हिंदी भाषा-साहित्य में बंगालेर अवदान’ दुपट्टा एवं ममेंटो भेंटकर डॉ. अलका सरावगी का सम्मान किया। सुश्री नैना मोर ने डॉ. सरावगी से कहा कि आपको सुनते हुए मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पुराना और अपने समय दोनों को देख रही हूँ। राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री श्री पवन कुमार जालान ने उपहार भेंटकर डॉ. अलका सरावगी का सम्मान किया। सम्मेलन के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया, सर्वश्री अरुण प्रकाश मल्लावत, कैलाश जैन सहित अन्य प्रांतों के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने आभासीय पटल जूम के माध्यम से जुड़कर संगोष्ठी का लाभ उठाया। राष्ट्रीय महामंत्री श्री कैलाशपति तोदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। सम्मेलन के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री एवं सेमिनार उपसमिति के संयोजक श्री संजय गोयनका ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन श्री आत्माराम सोन्थलिया, निवर्तमान उपाध्यक्ष श्री भानीराम सुरेका, सर्वश्री जुगल किशोर जाजोदिया, सुरेश अगरवाल, सांवरमल शर्मा, विनोद टेकरीवाल, महाबीर प्रसाद मनकसिया, विजय कानोडिया, रघुनाथ झुनझुनवाला, बसंत सेठिया, पवन जैन, पुरुषोत्तम अग्रवाल, अमित मूधंडा, संपत बरमेचा, अनिल मल्लावत, पवन बंसल, नंदकिशोर अग्रवाल, हर्ष कुमार शर्मा, शशि कांत साह, विश्वनाथ भुवालका, सुभाष चंद्र गोयनका, गोपाल पित्ती, शरद श्रॉफ, सज्जन बेरीवाल, रमेश बूबना, नवीन गोपालिका आदि मौजूद रहे।

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