केंद्र के समतुल्य डीए की मांग स्वीकार करने में ममता ने जताई असमर्थता


 

कोलकाता । केंद्रीय कर्मचारियों के समतुल्य मंहगाई भत्ते की मांग को लेकर लगातार आंदोरलन कर रहे राज्य के सरकारी कर्मियों को निराश करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मांग स्वीकार करने में साफ तौर पर असमर्थता जताई है। सोमवार को राज्य विधानसभा में संबोधन करते हुए ममता ने केंद्रे से पैसे नहीं मिलने का हवाला देते हुए कहा कि राजकोष में इतने पैसे नहीं है कि डीए की मांग पूरी की जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के मुकाबले सरकारी कर्मचारियों को अधिक छुट्टी देती है। केंद्र के मुकाबले राज्य सरकार के वेतन पैमाने में भी अंतर है। उन्होंने कहा कि पहले से 99 फ़ीसदी डीए बढ़ाया गया था और अब छह फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ यह बढ़कर 105 फ़ीसदी हो गया है।

ममता से पहले विधानसभा में वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि तत्कालीन वाममोर्चा सरकारों ने पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद भी महंगाई भत्ता बाकी रखा था। हमने उसे भी दिया है। किसी राज्य में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन नहीं दिया जाता, हम देते हैं। क्या चाहते हैं, वह सब भी बंद कर दिया जाए? विपक्ष तो यही चाहता है। इसके बाद चंद्रिमा ने दावा किया कि अगर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को पेंशन नहीं दिया जाए तो 20 हजार करोड़ रुपये की राशि बचेगी।

चंद्रिमा का संबोधन समाप्त होते ही मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के मुकाबले राज्य सरकार के कर्मचारियों का वेतन पैमाना बिल्कुल अलग है। हम लोग तो दुर्गा पूजा में 10 दिन छुट्टी देते हैं। छठ पूजा में छुट्टी देते हैं। 34 सालों तक वाममोर्चा ने शासन किया एक रुपये का डीए नहीं दिया। उनका 99 फ़ीसदी बाकी था वह भी हमने दिया था। छह फीसदी अतिरिक्त दे रहे हैं। कुल मिलाकर 105 फीसदी डीए हमें देना पड़ा है। उसके बाद भाजपा शासित राज्य त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए ममता ने दावा किया कि वहां सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं दिया जाता। भत्ते की मांग पर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश देते हुए ममता ने कहा कि आकाश से रुपये नहीं बरसते। हमारे यहां सुविधाएं हैं कि 10 सालों में सरकारी कर्मचारी चाहे तो एक बार श्रीलंका, बांग्लादेश अथवा थाईलैंड सरकारी पैसे पर घूम सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजकोष में पैसा नहीं है। आवास योजना, सड़क, 100 दिनों की रोजगार के लिए केंद्र सरकार से पैसा नहीं मिल रहा है। अल्पसंख्यकों के लिए जो रुपये केंद्र से मिलते थे वे सारे बंद हैं। राज्य सरकार के कोष पर बहुत भार है।

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