साहित्यकार मौन साधक और तपस्वी होता है: विमर्शानंद

मरु नवकिरण विशेषांक का लोकार्पण
बीकानेर. (कविता कंवर राठौड़)! साहित्य कला और संस्कृति को समर्पित हिंदी की त्रैमासिक पत्रिका मरु नवकिरण के मधु आचार्य आशावादी पर केंद्रित जुलाई- सितंबर अंक का लोकार्पण मंगलवार को जय नारायण व्यास कॉलोनी स्थित राष्ट्र सहायक विद्यालय के सभाकक्ष में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोखा के विधायक बिहारीलाल बिश्नोई थे, लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता शिवबाड़ी मठ के महंत स्वामी विमर्शानंद जी महाराज ने की तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार अनिरुद्ध उमट थे।
पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. अजय जोशी ने बताया कि यह अंक वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी एवं पत्रकार मधु आचार्य “आशावादी” के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के रचनात्मक अवदान पर केंद्रित है, उन्होंने बताया इस अंक के लिए देश भर से आलोचकों एवं समीक्षकों ने मधु आचार्य के रचना कर्म पर अलग-अलग टिप्पणियां प्रस्तुत की है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा बीकानेर की कला, साहित्य एवं संस्कृति की गौरवशाली परंपरा रही है उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम मधु आचार्य कर रहे हैं।बिश्नोई ने कहा कि बीकानेर को कला साहित्य संस्कृति की राजधानी कहे तो अतिशयोक्ति नहीं है। विश्नोई ने कहा कि मधु आचार्य जन जन के साहित्यकार है,वे सदैव जनता के बीच रहते हैं, जनता की समस्याओं को पढ़ते हैं और लेखक के रूप में उनको अपने रचनाकर्म के माध्यम से पाठकों तक लेकर आते हैं। बिश्नोई ने कहा की साहित्यकार को एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में भी देखा जाना चाहिए। सामाजिक व्यक्ति ही समाज की विडंबनाओं को अपने पाठकों के सम्मुख रख सकता है । उन्होंने मरु नवकिरण के संपादकों को बधाई देते हुए कहा की इस पत्रिका का नियमित प्रकाशन होना पत्रिका की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
इस अंक के अतिथि संपादक वरिष्ठ कवि- कथाकार राजेंद्र जोशी ने संपादकीय पहलुओं को साझा करते हुए कहां कि इस अंक को पढ़ने वाला पाठक इसे संग्रहण करके तो रखेगा ही साथ ही शोधार्थियों के लिए यह अंक बहुत उपयोगी साबित होगा। जोशी ने कहा कि इस अंक के प्रकाशन में यह प्रयास किया गया है कि एक रचनाकार के समस्त पहलुओं एवं विधाओं को इसमें शामिल किया जाए, उन्होंने कहा कि मधु आचार्य की सृजनात्मकता को जानने और समझने के लिए मरु नवकिरण का यह का अंक प्रत्येक पाठक पहुंचे यह सबसे बड़ी सफलता होगी।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी विमर्शानंद जी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है, कला- संस्कृति भी समाज का ही दर्पण है, एक साहित्यकार समाज की घटनाओं को समाज के सामने अपनी लेखनी के माध्यम से रखता है।उनको सब की घटना बनाने का बेहतरीन काम एक लेखक के रूप में मधु आचार्य ने किया है। उन्होंने कहा कि पत्रकार के रूप में उनका किया हुआ काम लेखक के रूप में उनके रचनात्मक हुनर को और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। स्वामी विमर्शानंद जी ने कहा कि साहित्यकार मौन साधक और तपस्वी होता है।मधु आचार्य सदैव मौन साधना और तपस्या करते दिखाई देते हैं, वह एक बेहतरीन लेखक के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान भी है ,उन्होंने कहा कि मैं यह उम्मीद करता हूँ कि मधु आचार्य अपनी आत्मकथा के माध्यम से समाज को अपने व्यक्तित्व से अवगत कराएंगे।
लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार अनिरुद्ध उमट ने कहा कि मधु आचार्य को समझने के लिए उनके लेखन को समझना होगा ,उन्होने कहा कि मधु आचार्य के लेखन के मर्म को समझने का प्रयास होना चाहिए। उमट ने कहा कि एक लेखक गोली नहीं चला सकता, आंदोलन नहीं कर सकता लेकिन कलम के माध्यम से समाज के सम्मुख खुद को सदैव उपस्थित रखता है।
इस अवसर पर मधु आचार्य ने कहा कि समाज ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मुझे अभी बहुत काम करना बाकी है,मेरा यह प्रयास होगा कि मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की आवाज बन सकूं ,एक पत्रकार के रूप में और एक रचनाकार के रूप पर में मैं खुद को समाज से अलग नहीं कर सकता। मैं यह भी जानता हूं की जिम्मेदारी जो मुझे घर परिवार और समाज ने दी है उसे पूरी करने का काम मैं अपनी लेखनी के माध्यम से ही कर सकता हूं। इस अवसर पर मधु आचार्य ने कहां कि मरु नवकिरण परिवार का मैं साधुवाद करता हूं जिन्होंने अपनी इस लोकप्रिय पत्रिका में मेरे रचनाकार को सम्मान दिया।क़्क़
प्रारंभ में आरएसवी स्कूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आदित्य स्वामी ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा अंत में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया ।कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार -पत्रकार हरीश बी शर्मा ने किया। कार्यक्रम में उद्योगपति के.एल. बोथरा ,शशि शर्मा ,अखिलेश प्रताप सिंह, चंद्रशेखर जोशी, डॉ. ओम कुवेरा डॉ. नरसिंह बिन्नानी,विजय खत्री, मनीषा आर्य सोनी, सुधा आचार्य, ब्रज रतन जोशी,फारुख चौहान, शिव शंकर शर्मा ,मीना आसोपा,विजय मोहन जोशी, जेपी व्यास, गिरिराज पारीक,मोहनलाल जंगिड, मुकेश व्यास सरिता तिवाड़ी,महावीर रांका, महेश व्यास, मोहन सुराणा, भंवर पुरोहित,ओम सोनी,डा. वत्सला पाण्डे, पेन्टर धर्मा, रितू शर्मा, मीनू गौड़, डॉ. प्रकाश आचार्य, बंसत आचार्य,नवकिरण प्रकाशन की निदेशक यामिनी जोशी सहित शहर के सैकड़ों गणमान्य जन उपस्थित थे।

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