हाईकोर्ट ने रद्द की बच्ची को सुई चुभो कर मौत के घाट उतारने वालों की सजा-ए-मौत

 

कोलकाता । पुरुलिया जिले में सुई चुभो कर केवल साढ़े तीन साल की बच्ची को मौत के घाट उतारने के दोषियों की मौत की सजा को कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को रद्द कर दी है। न्यायालय की खंडपीठ ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी है। साथ ही फैसला सुनाया है कि आगामी 30 सालों तक इनके लिए जमानत की अर्जी नहीं लगाई जा सकेगी। न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और विभाष रंजन दे की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। बच्ची को मौत के घाट उतारने के मामले में दोषी करार दी जा चुकी उसकी मां मंगला गोस्वामी और ओझा सनातन गोस्वामी को पुरुलिया जिला कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी। इसी के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। घटना 2017 की है। साढ़े तीन साल की बच्ची के शरीर में सात बड़ी सुइयां चुभोई गई थीं। यहां तक कि उसके यौनांग में भी सूई चुबोई गई थी। गंभीर हालत में पुलिस ने बच्ची को उसके घर से बरामद कर अस्पताल में भर्ती किया था जहां नौ दिनों की चिकित्सा के बाद उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने 22 जुलाई 2017 को उसकी मां मंगला को गिरफ्तार कर लिया गया था। मंगला ने अपने पड़ोसी सनातन गोस्वामी के साथ मिलकर बच्ची के शरीर में सुई चूभो कर उसे प्रताड़ित किया था। घटना के बाद सनातन फरार हो गया था। बाद में उसे पुलिस ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में उसके एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (पॉक्सो) सहित आईपीसी की अन्य गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू हुई थी। घटना के 57 दिनों के बाद 12 सितंबर 2017 को पुलिस ने चार्जशीट पेश किया था। उसी पर ट्रायल शुरू हुआ और पुरूलिया जिला न्यायालय ने दोनों को सजा-ए-मौत दी थी लेकिन अब हाईकोर्ट ने उसे रद्द कर दिया है।

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