12 वर्षीय अंतरजोत कौर एवं उसकी बहन प्रभजोत कौर सिख बच्चों को गुरमत के प्रति जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य कर रही हैं

 

रानीगंज(संवाददाता): अंतरजोत कौर उसने 5 वर्ष की उम्र में ही अमृतपान कर लिया था एवं तब से ही गुरु ग्रंथ साहिब जी के बताए हुए रास्ते पर चल रही है। कीर्तन लेक्चर मैं उसे महारत हासिल है ! पदम श्री निर्मल सिंह खालसा की मीठी यादों में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर एवं अकाल गुरबाणी चैनल के संयुक्त तत्वधान में कीर्तन प्रतियोगिता में 12 देशों में प्रथम स्थान उन्हें प्राप्त हुआ था एवं 51 हजार नगद राशि उसे पुरस्कार के रूप में उन्हें मिली थी। वही उसकी बड़ी बहन प्रभजोत कौर जो वर्तमान समय में ग्यारहवीं क्लास की छात्रा है। इतनी कम उम्र में भारत के विभिन्न राज्यों में गुरमत के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में लेक्चरर के रूप में उसकी पहचान है। दोनों बहनों का कहना है कि सिख का जीवन परमात्मा को याद करते हुए और जरूरतमंदों की मदद करते हुए इमानदारी से व्यतीत होता है। उनके लिए परमात्मा के नाम का सिमरन अन्य किसी भी कार्य से ज्यादा जरूरी है। उनके पिता जसपाल सिंह परवलिया गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव के पद पर हैं एवं माता सिमरजीत कौर भी गुरु घर के सेवादार के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनके माता-पिता ने बताया कि उनकी दो पुत्रियां हैं गुरु महाराज की बख्शीश से उनके दोनों पुत्रियां पुत्रों से बढ़कर है। उनका पूरा परिवार अमृतधारी हैं एवं साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के बताये हुए रास्ते पर चलकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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