
कोलकाता । श्रीमद्भागवत कथा पाठ में श्रोताओं को भाव – विभोर करते हुए कोलकाता पधारे रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधँराचार्य महाराज ने कहा – श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से श्रोता का मन निर्मल, पवित्र हो जाता है । जीवन का सर्वोत्तम लाभ यही है कि जीवन के अंत में सिर्फ भगवान की स्मृति रहे । भगवान में अनन्य भाव से भक्ति कर लो तो 33 कोटि देवता प्रसन्न हो जाते है । जीवन में सहनशीलता, करुणा और प्राणी मात्र के प्रति मैत्री भाव रखने से भगवान प्रसन्न होते है । भगवान को आडम्बर और दिखावा पसंद नहीं है । उत्तम जीव उसी कुल और उसी घर में जन्म लेता है जिसमें धर्म का आचरण होता है । महिलाओं को सम्मान देने के प्रसंग में स्वामी श्रीधँराचार्य महाराज ने कहा – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता, जहां महिलाओं का सम्मान और पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं । जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है । घर – परिवार में भोजन के समय मातृश्री बने, मंत्रणा के लिए मंत्री बने, विपत्ति में मित्र बने – यही नारी धर्म है । उन्होंने श्रोताओं को जीवन में मर्यादित आचरण करने की प्रेरणा देते हुए कहा विवाह के बाद नव दंपत्ति सर्व प्रथम कुल देवता, कुल देवी और तीर्थ का दर्शन करें । रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधँराचार्य महाराज ने कहा – भगवान का स्मरण सदा कल्याण करता है । सनातन हिन्दू धर्म में भगवान के सभी अवतार, धाम और भक्त भारत की पुण्य भूमि पर हुए । माता – पिता को चाहिए कि बच्चों को धार्मिक निष्ठा से संस्कारित करें और भगवान की कथा श्रवण करने हेतु प्रेरित करें ।

स्वामी श्रीधँराचार्य महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को अपने सामर्थ्य अनुसार परोपकार की भावना से सेवा कार्य करने की प्रेरणा दी । उन्होंने कहा गृहस्थ जीवन में रह कर एक घंटे का किया हुआ भजन और सन्यासी का दस घंटे का भजन बराबर पुण्य देता है । उत्तम प्रवृत्ति के मनुष्य अपनी प्रशंसा नहीं चाहते । वेदम् बैंक्वेट, रघुनाथपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यास पीठ का पूजन पीयूष – मीरा गुप्ता, हरीश चन्द – सुनीता गुप्ता, अमित – सरिता गोयल एवम् श्रद्धालु भक्तों ने किया ।
