वित्तीय समावेशन पर पत्रकारों का संवाद: PIB के ‘वार्ता’ कार्यशाला में पश्चिम बंगाल की उपलब्धियों पर चर्चा

कोलकाता :  प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी), कोलकाता के तत्वावधान में ‘वार्ता’ मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई, जिसका मुख्य विषय पश्चिम बंगाल में वित्तीय समावेशन और इसकी वर्तमान स्थिति था। भारतीय रिज़र्व बैंक के DEAF फंड द्वारा समर्थित और NABARD की पहल पर पश्चिम बंगाल के 21 जिलों के 173 ब्लॉकों में पाँच अग्रणी बैंकों के सहयोग से 118 वित्तीय समावेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों तक वित्तीय साक्षरता और सेवा पहंचाई जा रही है, जिसकी चर्चा इस कार्यशाला में प्रमुखता से हुई।

कार्यशाला की शुरुआत “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत दीप प्रज्वलन और वृक्षारोपण से हुई, जिसका नेतृत्व PIB (पूर्वी क्षेत्र) के महानिदेशक श्री टी.वी.के. रेड्डी ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में श्री रेड्डी ने मीडिया संस्थानों की बढ़ती जिम्मेदारियों और PIB Fact Check की भूमिका को उजागर करते हुए बताया कि वित्तीय समावेशन समावेषी विकास के लिए आवश्यक है, खासकर ग्रामीण जनता एवं असंगठित क्षेत्रों में।

मुख्य अतिथि NABARD के मुख्य महा प्रबंधक श्री पी.के. भारद्वाज ने वित्तीय समावेशन के इतिहास, संरचना और इसकी आवश्यकता का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कृषि सहकारी आंदोलन, बैंकों के राष्ट्रीयकरण, प्राथमिकता क्षेत्र की अवधारणा और लीड बैंक योजना जैसे मील के पत्थरों का उल्लेख करते हुए NABARD द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किए जा रहे प्रयासों—जैसे स्वयं सहायता समूह (SHG), संयुक्त देयता समूह (JLG), वित्तीय जागरूकता अभियान, सौर ऊर्जा चालित बैंकिंग यूनिट्स, और ई-किसान क्रेडिट कार्ड (e-KCC)—की जानकारी दी। NABARD द्वारा वित्तीय जागरूकता के लिए ₹500 करोड़ की विशेष निधि आवंटित की गई है।

SLBC (PNB) के महा प्रबंधक श्री बलबीर सिंह ने बैंकिंग नेटवर्क के विस्तार व उसकी भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के प्रत्येक गांव में 5,000 से अधिक आबादी पर बैंक शाखा उपलब्ध है। राज्य में 5.38 करोड़ जन धन खाते खुले हैं, जिनमें ₹25,000 करोड़ जमा हैं। 58 लाख नागरिकों को अटल पेंशन योजना से लाभ मिला है। राज्य में कुल ₹12 लाख करोड़ जमा और ₹8.5 लाख करोड़ ऋण हैं, जिसके साथ 70% का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कोलकाता और कूच बिहार जैसे जिले 100% से अधिक के अनुपात को पार कर चुके हैं। इस वर्ष का क्रेडिट लक्ष्य ₹1.5 लाख करोड़ रखा गया है, जिसमें से ₹25,000 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से वितरित करने का लक्ष्य है। 45 लाख MSME उद्यमों को बिना जमानत के ₹10 लाख तक ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

इस कार्यशाला ने वित्तीय समावेशन की दिशा में राज्य की उपलब्धियों, चुनौतियों, और नवीन पहलों पर गहन संवाद का अवसर प्रदान किया। पत्रकारों की सहभागिता ने जानकारी साझा करने, प्रतिक्रिया देने और गहन आर्थिक रिपोर्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया। PIB के प्रयासों से ऐसे संवाद माध्यमों के माध्यम से सुचनाओं की विश्वसनीयता और मीडिया की भूमिका मजबूत बन रही है, जिससे समावेशी आर्थिक विकास को बल मिल रहा है।

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