“हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में संदिग्ध मज़ार: धूम मानिकपुर में हरे रंग की दरगाह पर बढ़ती चिंता”

 

“धर्म के नाम पर ज़मीन कब्ज़ा या कोई गुप्त नेटवर्क? नौगजा पीर दरगाह पर जाँच की माँग”

ग़ाज़ियाबाद के दादरी क्षेत्र के धूम मानिकपुर गाँव की मुख्य सड़क पर स्थित एक हरे रंग की मज़ार (दरगाह) इन दिनों गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है। स्थानीय निवासियों और सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, वर्षों से यह मज़ार सड़क किनारे स्थित है, लेकिन अब इस पर यह आरोप लग रहे हैं कि धार्मिक आस्था की आड़ में ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा किया गया है, और आसपास के क्षेत्र में कथित तौर पर भूखंड विकसित कर लिए गए हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती?

यह स्थिति इसलिए और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि यह दरगाह एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट, वायुसेना हवाई अड्डा और रेलवे लाइनों जैसे सामरिक दृष्टि से अति-संवेदनशील संस्थानों के बेहद निकट स्थित है। ऐसे में यह इलाका हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में आता है, जहाँ किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि या असंगत निर्माण, देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन सकता है।

धर्म की आड़ में अतिक्रमण?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस दरगाह पर मुख्यतः बरेलवी समुदाय के कुछ मुसलमान ही जाते हैं, जबकि बड़ी संख्या में स्थानीय हिंदू नागरिक वहां चादर चढ़ाते देखे गए हैं। यह एक विडंबना है कि जिन बरेलवी और देवबंदी समुदायों की ऐतिहासिक भूमिका पाकिस्तान के निर्माण में थी, उनकी मज़ारों को भारत में ऐसी सामाजिक मान्यता और संरक्षण क्यों मिल रहा है?

प्रश्न गंभीर है:
क्या यह सिर्फ़ श्रद्धा का स्थल है, या इसके माध्यम से कोई गुप्त साम्प्रदायिक या रणनीतिक एजेंडा धीरे-धीरे पनप रहा है?

ISI का संदिग्ध सर्विलांस ठिकाना?

हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में स्थित इस प्रकार की मज़ारें यह संदेह पैदा करती हैं कि क्या ये स्थल पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI या अन्य विदेशी विरोधी शक्तियों के लिए जासूसी, निगरानी या समन्वय केंद्र का काम कर रहे हैं?

देशभर में रेलवे पटरियों, हाईवे के कट, और सड़क दुर्घटनाओं के स्थानों के पास ऐसी ही हरी मज़ारों के उभरने का एक स्पष्ट पैटर्न देखा जा रहा है — जैसे वहाँ किसी पीर या सूफ़ी की मृत्यु हुई हो। धीरे-धीरे ये स्थल धार्मिक दावा बनाकर स्थायी निर्माण में बदल दिए जाते हैं, जो भारत के भूमि कानून और शहरी नियोजन प्रणाली को सीधी चुनौती है।

नौगजा पीर दरगाह: विस्तार और बढ़ती संदिग्ध गतिविधियाँ

ओल्ड एनएच-91, जी.टी. रोड पर मोहन स्वरूप हॉस्पिटल के पास, बिजलीघर के सामने स्थित “नौगजा पीर दरगाह” के संबंध में भी कई चिंताजनक सूचनाएँ सामने आई हैं। गुप्त इनपुट्स के अनुसार, दरगाह के पास हाईवे का एक कट है जहाँ फलों की ठेलियाँ लगती हैं, और कुछ ठेलीवाले रात को दरगाह परिसर में ही सोते हैं।

चारदीवारी से घिरा यह परिसर आज काफी बड़ा हो चुका है, जबकि 2005 में गूगल मैप्स पर डाली गई तस्वीरों में यह मात्र एक छोटी सी मज़ार के रूप में दिखता था। अब 2025 तक इसका आकार, संरचना और गतिविधियाँ — सबकुछ विस्तारित हो चुका है। बाहरी “जामती” यानी जमात करने वाले व्यक्तियों का आवागमन भी देखा गया है।

जाँच और सुरक्षा ऑडिट की माँग

लेखक रविंद्र आर्य ने उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय एमएलसी श्री चंद शर्मा से इस विषय को गंभीरता से लेने की अपील की है और निम्नलिखित ठोस कदमों की सिफारिश की है:

ATS, IB और स्थानीय पुलिस की संयुक्त उच्च-स्तरीय जाँच
• प्रत्येक माह सुरक्षा निगरानी रिपोर्ट संबंधित थाना में दर्ज हो
• मज़ार से जुड़े व्यक्तियों की पहचान, गतिविधियों और फंडिंग स्रोतों की पूरी जाँच हो
• आवश्यकता पड़ने पर INA या NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियाँ इस मामले में हस्तक्षेप करें
• किसी भी असामान्य गतिविधि पर नजर रखने हेतु विशेष निगरानी दल की नियुक्ति की जाए

धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक और संवैधानिक अधिकार है, लेकिन यदि उसी स्वतंत्रता का उपयोग राष्ट्र की सुरक्षा के विरुद्ध किया जाए, तो उस पर कठोर निगरानी, विवेकपूर्ण जाँच और आवश्यक कार्रवाई अनिवार्य है।

धूम मानिकपुर और नौगजा पीर दरगाह जैसे स्थलों की हकीकत — श्रद्धा का केंद्र हैं या गहरे षड्यंत्र की परतें — इसका उत्तर केवल निष्पक्ष, तकनीकी और सुरक्षा-केंद्रित जाँच ही दे सकती है।

देश की सुरक्षा, क़ानून और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि नागरिक, प्रशासन और जनप्रतिनिधि — तुष्टिकरण, वोट बैंक या तथाकथित सेकुलरिज़्म के नाम पर ऐसे मामलों की अनदेखी न करें।

लेखक: रविंद्र आर्य
(सांस्कृतिक एवं सुरक्षा मामलों के स्वतंत्र लेखक)

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