
दिल्ली, 29 मई 2025 | विशेष संवाददाता(रिपोर्ट: रविंद्र आर्य)दिल्ली में हाल ही में आयोजित एक सांस्कृतिक बैठक में दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा और प्रसिद्ध सिंगर शंकर सिहानी की मुलाक़ात ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में नई दिशा की संभावनाओं को जन्म दिया। इस भेंट में दोनों ने विशेष रूप से छोटे और उभरते कलाकारों को मंच उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर गहन चर्चा की।
बैठक में बॉलीवुड के कुछ अन्य कलाकार भी मौजूद थे, लेकिन मुख्य केंद्रबिंदु शंकर सिहानी द्वारा प्रस्तुत वह दृष्टिकोण रहा जिसमें उन्होंने देश के दूरदराज़ क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं को आगे लाने की बात को प्रमुखता दी। उन्होंने कहा, “देश के गांवों और कस्बों में संगीत, अभिनय और नृत्य की अद्भुत प्रतिभाएं छिपी हुई हैं, जिन्हें यदि एक उचित मंच और मार्गदर्शन मिले, तो वे न केवल अपने जीवन को बदल सकते हैं बल्कि भारत की सांस्कृतिक छवि को भी सशक्त बना सकते हैं।”
इस पर मंत्री कपिल मिश्रा ने सहमति जताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार जल्द ही एक ऐसी सांस्कृतिक योजना शुरू करने पर विचार कर रही है, जो उभरते कलाकारों को प्रदर्शन के अवसर और प्रशिक्षण की सुविधाएं देगी। उन्होंने कहा, “हम दिल्ली को केवल प्रशासनिक राजधानी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक नवाचार का केंद्र भी बनाना चाहते हैं।”
बैठक के दौरान यह भी प्रस्ताव रखा गया कि एक “यूथ आर्टिस्ट प्लेटफॉर्म” तैयार किया जाए, जिसमें संगीत, नृत्य, रंगमंच और फोक आर्ट से जुड़े युवा कलाकारों को डिजिटल और भौतिक मंच दिया जाएगा। इस मंच की संरचना इस प्रकार होगी कि कलाकार न केवल अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें, बल्कि उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण, नेटवर्किंग और आर्थिक सहायता भी उपलब्ध हो।
शंकर सिहानी ने अपनी ओर से आश्वासन दिया कि वह स्वयं और उनके साथ जुड़े कलाकार इस मुहिम में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि कलाकारों के लिए यह ज़रूरी है कि वे केवल प्रसिद्धि न खोजें, बल्कि दूसरों को आगे लाने का माध्यम भी बनें।
इस बैठक को दिल्ली के कला-जगत में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। कई सांस्कृतिक संगठनों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे ज़मीनी स्तर के कलाकारों को एक नई पहचान मिल सकती है और भारत की लोक एवं शास्त्रीय कला को एक नई ऊर्जा।
भविष्य में कपिल मिश्रा और शंकर सिहानी के सहयोग से होने वाले इस सांस्कृतिक अभियान की औपचारिक घोषणा जल्द ही की जा सकती है। यदि यह योजना लागू होती है, तो यह दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के सांस्कृतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
