कोलकाता, 15 फरवरी । पश्चिम बंगाल का एसएसकेएम अस्पताल एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह है उसकी चिकित्सा क्षमता का एक नया रिकॉर्ड। मात्र 120 घंटे के भीतर अस्पताल ने 200 गॉल ब्लैडर स्टोन सर्जरी कर एक अभूतपूर्व मिसाल पेश की है। यह उपलब्धि न केवल राज्य की बल्कि पूरे देश की चिकित्सा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक मिसाल बताई जा रही है।
एसएसकेएम अस्पताल में मालदा, मुर्शिदाबाद, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, बर्दवान, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा और दार्जिलिंग सहित पश्चिम बंगाल के हर जिले से मरीज पहुंचे थे। पांच दिनों तक एसएसकेएम अस्पताल पूरी तरह से सर्जरी केंद्र में तब्दील हो गया था। अस्पताल के निदेशक मणिमय बंद्योपाध्याय, जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिमन्यु बसु और प्रोफेसर डॉ. दीप्तेंद्र सरकार सहित सर्जरी विभाग के सभी डॉक्टरों ने मिलकर इस असंभव कार्य को संभव बनाया।
बृहस्पतिवार और शुक्रवार को सरकारी अवकाश होने के बावजूद एसएसकेएम के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा। जब सरकारी दफ्तरों में छुट्टी का माहौल था, तब इन डॉक्टरों ने स्काल्पेल और अन्य सर्जरी उपकरणों के साथ मरीजों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया।
प्रोफेसर डॉ. दीप्तेंद्र सरकार के मुताबिक, ‘‘यह पहल सिर्फ गॉल ब्लैडर स्टोन सर्जरी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आने वाले समय में अन्य सर्जरी के लिए भी ऐसे प्रयास किए जाएंगे।’’
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे मुख्य कारण अस्पताल में लगातार बढ़ती सर्जरी की जरूरत थी। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, ऑपरेशन के लिए मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही थी, लेकिन एक दिन में सीमित संख्या में ही सर्जरी संभव थी। ऐसे में इस पहल के तहत डॉक्टरों ने मिलकर तय किया कि वे एक साथ अधिक सर्जरी करेंगे, ताकि मरीजों का इलाज समय पर हो सके।
एसएसकेएम अस्पताल में ऑपरेशन कराने वालों में 14 साल के एक नाबालिग से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक शामिल थे।
एसएसकेएम अस्पताल के इस कदम से मरीज और उनके परिजन बेहद खुश हैं। मरीजों का कहना है कि इस अस्पताल ने साबित कर दिया कि सरकारी अस्पतालों में भी बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं मिल सकती हैं। एक मरीज के परिवार ने कहा, ‘‘जो लोग सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं, उन्हें एसएसकेएम आकर देखना चाहिए कि असली चिकित्सा सेवा क्या होती है।’’