डॉ. सुजीत कुमार साव अनुशासन और शिक्षा के प्रति समर्पित एक प्रेरणादायक शिक्षक

आसनसोल।डॉ. सुजीत कुमार साव, पश्चिम बंगाल सरकार के गोंदलधारा शास्त्री हिंदी हाई स्कूल (उच्च माध्यमिक) के इतिहास विभाग में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अपने शिक्षण करियर के दौरान उन्होंने शिक्षा और अनुशासन को सर्वोच्य प्राथमिकता दी है। उनका मानना है कि अनुशासन और शिक्षा एक-दूसरे से जुड़े हुए है और अगर कोई व्यक्ति जीवन में अनुशासन का पालन करता है तो उसे निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। डॉ. शॉ का जीवन और शिक्षण पद्धति समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनके विचारों ने सात्रों और सहकर्मियों दोनों पर गहरा प्रभाव डाला है। डॉ.साव ने शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखा है बल्कि उन्होंने इसे जीवन के हर क्षेत्र में सीखने और विकसित होने का माध्यम बनाया है। उनका यह कहना है कि “जीवन में केवल पढ़ना ही नहीं, बल्कि सीखना आवश्यक है, यह उनकेविचारों और शिक्षण शैली का मूल है। वे अपने छात्रों को जीवन के हर पहलू में कुछ नया सीखने की प्रेरणा देते हैं और उन्हें इस बात का अहसास कराते हैं कि सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती अनुशासन के प्रति उनके विधार भी प्रेरणादायक है। उनका मानना है कि अनुशासन एक ऐसा गुण है, जो न केवल व्यक्ति के जीवन को सुव्यवस्थित करता है, बल्कि राष्ट्र के विकास और कल्याण में भी योगदान देता है। उनका प्रसिद्ध नारा, “डर है तो अनुशासन है. और अनुशासन है तो राष्ट्र का कल्याण है.” इसी बात को दर्शाता है। वे यह मानते हैं कि अगर व्यक्ति अनुशासन में रहता है, तो उसका जीवन सफल और संतुलित होता है. और इस प्रकार से वह समाज और देश की प्रगति में भी मोगदान देता है।डॉ. सी का दूसरा महत्वपूर्ण नारा, “तुम मुझे अनुशासन दो, मैं तुम्हें एक अच्छा इतिहास दूंगा,” यह स्पष्ट करता है कि अनुशासन और इतिहास की गहरी समझ के बिना किसी भी समाज का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकता। वे अपने छात्रओं की यह सिखाते हैं कि अनुशासन से ही वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और एक महान इतिहास का निर्माण कर सकते हैं। इसके अलावा डॉ. साव ने समाज के लोगों और छात्रों को एकता, नैतिकता और संगठन के महत्व को भी ॥समझाया है। उनका नारा, “एक रहो, नेक रहो, और संगठित रही. इसी विचारधारा का हिस्सा है। वे मानते हैं कि अगर समाज के लोग संगठित और एकजुट रहते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और सामूहिक रूप से प्रगति कर सकते हैं। शिक्षा के प्रति उनकी गहरी रुचि और समर्पण ने उन्हें एक सम्मानित शिक्षक और समाज के एक आदर्श नागरिक के रूप में स्थापित किया है। उनके प्रेरक विचार और नारे छात्रों और शिक्षकों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह काम करते हैं, जो उनहें बेहतर भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं। डॉ. सुजीत कुमार साव भी ने अपने शिक्षण के माध्यम से न केवल छात्रओं के जीवन को समृद्ध किया है, बल्कि समाज की भी अनुशासन, एकता, और नैतिकता के महत्व का संदेश दिया है।

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