कोलकाता, 4 अगस्त (शंकर जालान) संस्कृति की संवाहक यानी ‘परचम’ नामक संस्था ने महान गायक मोहम्मद रफी के जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर शेक्सपियर सरणी स्थित संगीत कला मंदिर में शनिवार (3 अगस्त) की शाम ‘स्वरांजलि’ के माध्यम से रफी साहेब को याद किया। श्रोताओं व दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में इमरान अख्तर, धीरेन संघवी, विवेक झंवर, साक्षी गोयनका, निधि सोनी और संगीता संघवी ने लगभग दो घंटे के इस कार्यक्रम के दौरान मोहम्मद रफी के कई दशकों के गायकी सफर के चुनिंदा गीत गाकर न केवल श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि ताली बजाने और झूमने पर भी मजबूर कर दिया। नीलमणि राठी के संगीत संचालन में ‘दिल एक मंदिर है’, ‘सुहानी रात ढल चुकी’, ‘याद न जाए बीते दिनों की’, ‘टूटे हुए ख्वावों से’, ‘ओ दुनिया के रखवाले’, ‘चौदहवीं का चांद हो’, ‘जिंदगी भर नहीं भूलेगी’, ‘तेरी प्यारी प्यारी सूरत को’, ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर’, ‘बहारों फूल बरसाओ’, “इशारों इशारों में’, ‘अच्छा जी मैं’, ‘गुनगुना रहे है’, ‘सर पर टोपी’, ‘जो वादा किया है’, ‘आंखों ही आंखों में इशारा’, ‘लाखों हैं निगाहों में’, ‘मांग के साथ तुम्हारा’, ‘जाने कहां मेरा दिल’, ‘ऐ दिल है मुश्किल’, ‘ये चांद सा रोशन चेहरा’, ‘गुलाबी आंखें जो तेरी’, ‘चाहे कोई मुझे जंगली’, ‘उड़े जब जब जुल्फें’, ‘बदन पे सितारे’, ‘आजकल तेरे मेरे प्यार’, ‘ओ हसीना जुल्फों’, ‘आ जा आ जा मैं हूं प्यार’ और ‘मधुवन में राधिका नाचे रे’, जैसे सदाबहार गीत गाकर गायकों ने खूब तालियां बटोरी।
‘परचम’ के कर्णधार मुकुंद राठी ने गागर में सागर की युक्ति को सार्थक करते हुए स्वरांजलि की महत्ता और रफी साहेब के गायकी सफर पर संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली प्रकाश डाला। राठी ने कहा कि आलांपिक खेलों में अगर गायन प्रतियोगिता होती तो सबसे अधिक स्वर्ण पदक मोहम्मद रफी के नाम होते। उन्होंने कहा कि ‘परचम’ ने अब तक 44 गायकों को मंच दिया है और सभी ने अपनी-अपनी मखमली आवाज में श्रोताओं को झूमाया है। शीतल मोहता काबिलेतारीफ तरीके से संगीत संध्या का संचालन किया।