
कोलकाता । भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवन पुरी महाराज ने महादेव मंदिर, काशीपुर में श्रीमद्भागवत कथा में श्रोताओं को भाव विभोर करते हुए कहा राधा और रुक्मिणी दोनों रूप लक्ष्मी जी के हैं । श्रीकृष्ण स्वयं विष्णु के अवतार हैं । भगवती लक्ष्मी राधा रूप में श्रीकृष्ण की प्रेमिका थी और रुक्मिणी रूप में उनकी पत्नी । रुक्मणी श्रीकृष्ण को मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थी, श्रीकृष्ण को पता चला कि रुक्मणी का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी और के साथ हो रहा है. तब उन्होंने रुक्मणी से विवाह रचा लिया । राधे – राधे – राधे बरसाने वाली राधे… भजन की प्रस्तुति के साथ त्रिभुवनपुरी महाराज ने कहा राधे-राधे बोलने या जप करने से भगवान श्री कृष्ण भक्त से प्रसन्न होते हैं । भागवत में बताए उपदेशों, उच्च आदर्शों को जीवन में अपनाने से मानव जीवन का उद्देश्य सफल हो जाता है । स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने माखन चोरी के प्रसंग में कहा बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण नटखट थे । रासलीला में वृंदावन की गोपियाँ कृष्ण की बांसुरी की ध्वनि सुनकर अपने घर-परिवार से दूर कृष्ण के साथ नृत्य करने चली जाती है । गोपियों के श्रीकृष्ण प्रेम का प्रसंग सुन कर सभी भाव विभोर हो गये । स्वामी त्रिभुवन पुरी महाराज ने गौसेवा करने की प्रेरणा दी । प्रत्येक सनातन हिन्दू को भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर गौ सेवा में जुट जाना चाहिये । पार्षद सुमन सिंह, समाजसेवी दारोगा सिंह रघुवंशी, गिरजा सिंह, अजय सिंह, गायत्री सिंह, संजय सिंह, इन्दु सिंह, संदीप सिंह, मीरा सिंह, सिमी सिंह, अर्जुन सिंह एवम श्रद्धालु भक्तों ने भक्ति भाव से व्यास पीठ का पूजन किया ।

