
सीताराम अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने गत 5 मार्च को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद आज भाजपा का दामन थाम लिया। जानकार सूत्रों के अनुसार संभवतः उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया जायेगा। ज्ञातव्य है कि विरोधी दल के नेता शुभेन्दु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी इस समय तामलुक लोकसभा सीट से सांसद हैं, पर अपनी उम्र व स्वास्थ्य के कारण उन्होंने पुन: चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की है। हालांकि वे तृणमूल पार्टी के सांसद हैं, पर एक तरह से पिछले कुछ समय से उन्होंने अपनी पार्टी से कोई सम्पर्क नहीं रखा। अतएव ऐसी चर्चा है कि भाजपा तामलुक से ही श्री गांगुली को टिकट देगी। यदि ऐसा होता है तो निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में जस्टिस के रूप में श्री गांगुली ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाकर आम जनता में काफी लोकप्रियता हासिल की है। यहां तक कि कई लोगों ने इन्हें भगवान का दर्जा भी दे डाला। वही व्यक्ति अब भाजपा प्रार्थी के रूप में जनता की अदालत में जायेगा और जनता के फैसले की ओर टकटकी लगाये रखेगा। अब तो यह भविष्य बतायेगा कि जनता क्या फैसला करती है।
वैसे राजनीति निष्ठुर भी होती है। अत: कोई जरूरी नहीं कि जस्टिस के रूप मे पायी लोकप्रियता राजनीतिज्ञ अभिजीत के लिए वोटों में भी तब्दील हो। वैसे भाजपा का दामन थामते ही उन पर आरोपों की बौछार होने लगी हैं। तृणमूल ने तो सीधे ही कह दिया हैं कि उन्होंने भाजपा में आने का मन बना कर ही कई फैसले हमारी पार्टी के खिलाफ दिये हैं। यही नहीं पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ अनावश्यक रूप से अनुचित मन्तव्य भी किये हैं। यहां तक कि उनके फैसलों को चुनौती देते हुए उनकी समीक्षा के लिए कानूनी कदम उठाने की बात भी कही गयी है। वैसे एक टीवी चैनल से बातचीत में पूर्व जस्टिस ने इन आरोपों को एकदम खारिज करते हुए चुनौती दी है कि किसी कार्यक्रम में वे लोग आकर इस तरह के आरोप लगायें तो मैं पूरे तर्क के साथ उन्हें निरूत्तर कर दूँगा।
