कांथी लोकसभा सीट : अधिकारी परिवार के गढ़ में होगा दिलचस्प मुकाबला, शिशिर अधिकारी से किनारा कर सकती है तृणमूल

 

कोलकाता, 23 फरवरी । पूरे देश में लोकसभा चुनाव की सुगबुहाहट तेज होते ही राजनीतिक रस्सा-कस्सी भी शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल में इस बार लड़ाई दिलचस्प होने वाली है क्योंकि विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडी” में होने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस राज्य में अकेले चुनाव लड़ने वाली है।
यहां की कई लोकसभा सीटें बेहद खास हैं जिन पर मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। ऐसी ही एक लोकसभा सीट है पूर्व मेदिनीपुर जिले की कांथी। यहां से राज्य के वयोवृद्ध नेता शिशिर अधिकारी फिलहाल सांसद हैं जो तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद नेता प्रतिपक्ष बने शुभेंदु अधिकारी के पिता है। कांथी लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है जो हमेशा से अधिकारी परिवार के दबदबे वाली रही है। राज्य में वामदलों के शासन के दौरान भी अधिकारी परिवार का यहां दबदबा था और तृणमूल का शासन आने के बाद भी 2009 से शिशिर अधिकारी इस सीट पर सांसद हैं।
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शिशिर अधिकार को टिकट नहीं दे सकती है तृणमूल
भले ही वे तृणमूल कांग्रेस के सांसद है लेकिन पार्टी ने उनके बेटे शुभेंदु अधिकारी के पाला बदल के बाद से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर से शिशिर अधिकारी की संसद सदस्यता खत्म करने की अपील की थी। हालांकि ऐसा हो नहीं पाया। इस बार यह लगभग तय है कि तृणमूल कांग्रेस उन्हें यहां से उम्मीदवार नहीं बनाएगी। बहुत हद तक संभव है कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट दे। हालांकि आधिकारिक तौर पर शिशिर तृणमूल के ही सांसद हैं।
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राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है कांथी
कांथी लोकसभा सीट शुरू से ही राजनीतिक दृष्टि से काफी संवेदनशील मानी जाती है। सात विधानसभा क्षेत्रों वाली इस संसदीय सीट पर 2009 से तृणमूल का कब्जा है। इसके पहले यह माकपा के कब्जे में रहा।

2009 में इस सीट से चुनाव जीतकर तृणमूल के शिशिर अधिकारी केंद्रीय पंचायत राज्य मंत्री बने। 2014 में भी उन्हें इस सीट से कामयाबी मिली। यह संसदीय क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि प्रधान है। यहां धान, पान और काजू की खेती बहुतायत में होती है। इसी के साथ समुद्री क्षेत्र होने से मत्स्यजीवी भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं। लिहाजा चुनावी मुद्दे इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
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कांथी की खास बातें
कांथी पश्चिम बंगाल का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। 1951 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। इसके सात विधानसभा क्षेत्र हैं। विद्यासागर यूनिवर्सिटी के अंदर प्रभात कुमार कॉलेज, एक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रघुनाथ आयुर्वेद महाविद्यालय, कांथी पॉलिटेक्निक कॉलेज यहां के प्रमुख कॉलेज हैं। कांथी में लगने वाला गांधी मेला यहां के एक प्रसिद्ध मेला है। जो हर साल जनवरी और फरवरी महीने में 10 से 15 दिन के लिए लगता है। कपालकुंडला मंदिर, हिजली मस्जिद, दरियापुर लाइट हाउस, राजबारी, सनकरपुर बीच, ताजपुर, रसालपुर, बांकीपुट सी बीच यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
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क्या है राजनीतिक गणित

कांथी लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल के 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। इसमें वर्तमान में 7 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उनमें से आठ लाख 216 पुरुष वोटर हैं। महिला मतदाताओं की संख्या आठ लाख 59 हजार 920 हैं। थर्ड जेंडर के मतदाता 11 हैं। 2019 में कुल वोटरों की संख्या 14 लाख 24 हजार 247 थी। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 85.79 फीसदी था। तृणमूल के शिशिर अधिकारी ने 7 लाख 11 हजार 872 मत लेकर जीत हासिल की थी।
कुल मतदाता- 14,90,409
पुरुष वोटरों की संख्या- 7,77,345
महिला वोटरों की संख्या- 7,13,061

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