प्रोफेसर हकीम अजमल खान की 155वीं जयंती पर मनाये जा रहे विश्व यूनानी दिवस के. एफ. मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से भव्य कार्यक्रम का आयोजन

कोलकाता, 11 फरवरी, 2023 : प्रोफेसर हकीम अजमल खान की 155वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए भारत में विश्व यूनानी दिवस मनाया जाता है, जो यूनानी चिकित्सा के अद्रणी अग्रदूत होने के साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए शनिवार को महानगर के साइंस सिटी के मिनी ऑडिटोरियम में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजिन किया गया। जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद, बॉलीवुड अभिनेता राज़ा मुराद, डॉ. अजमल के टी (कालीकट यूनानी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के निदेशक) के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल थें।

इस अवसर पर डॉ. शौकत जहां (अध्यक्ष, के. एफ. मेमोरियल ट्रस्ट) ने कहा, यूनानी पारंपरिक चिकित्सा एक समग्र दृष्टिकोण पर आधारित चिकित्सा का एक कारगर प्रकार है, जिसे अब समाज में पहले से कहीं अधिक बढ़ावा मिल रहा है। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य यूनानी चिकित्सा प्रणाली के निरंतर विकास में उनके अद्भुत योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देना है। हम पद्मश्री सम्मान से सम्मानित प्रोफेसर हकीम सैयद खलीफतुल्लाह को यूनानी चिकित्सा पद्धति के विकास और प्रगति में उनके योगदान के लिए उन्हें हॉल ऑफ फेम पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। हकीम एम. जेड. अंसारी, जो पिछले 40 वर्षों से जगद्दल में यूनानी का अभ्यास कर रहे हैं, उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड सम्मान प्रदान करने के साथ कुछ प्रतिष्ठित डॉक्टरों को यूनानी प्रणाली के क्षेत्र में उनके सराहनीय काम के लिए इस कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा।

हकीम अजमल खान (11 फरवरी 1868 – 29 दिसंबर 1927) जो एक प्रसिद्ध भारतीय यूनानी चिकित्सक थे। यूनानी चिकित्सा पद्धति के विकास में उनकी जबरदस्त भूमिका और अपार योगदान को जानने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने उनके जन्मदिन को “विश्व यूनानी दिवस” के रूप में घोषित किया है। वह नई दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव में उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें 1920 में विश्वविद्यालय का पहला चांसलर नियुक्त किया गया था। वर्ष 1927 में उनकी मृत्यु के पहले तक वे इस पद पर बने रहे। उनके निरंतर प्रयासों ने ब्रिटिश शासन में खस्ताहाल चिकित्सा प्रणाली में एक नई ऊर्जा और शक्ति के साथ नये जीवन का संचार किया था।

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