शताधिक संस्थाओं ने दी पं. केशरीनाथ त्रिपाठी को श्रद्धांजलि

कोलकाता । “पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने अपनी सहजता, आत्मीयता एवं सर्व सुलभता से वृहत्तर कोलकाता के व्यापक समाज से नाता जोड़ा। उनके स्नेह-सद्भाव की सुरभि ने राजभवन और जनता की दूरी कम की, उनके प्रति श्रद्धाज्ञापन हेतु उपस्थित शताधिक संस्थाएं इसका प्रमाण है। उन्हीं के गीत की दो पंक्तियां याद आ रही है – “तुम गये हो याद कितनी छोड़ कर, नेह की शब्दावली को जोड़ कर।’ ये उद्गार है डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी के जो स्थानीय रथीन्द्र मंच में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में सौ से भी अधिक संस्थाओं द्वारा आयोजित सार्वजनिक स्मरण सभा में दिवंगत पं. केशरीनाथ त्रिपाठी को श्रद्धांजलि दे रहे थे।
उन्होंने कुमारसभा पुस्तकालय के साथ त्रिपाठी जी के आत्मीय संबंधों का भी स्मरण किया।
समारोह के अध्यक्ष प्रख्यात समाजसेवी सज्जन कुमार बंसल ने कहा कि पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी जी परम गो भक्त थे एवं उनका सानिध्य हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।
प्रख्यात समाजसेवी राजेन्द्र खंडेलवाल ने पंडित जी को याद करते हुए कहा कि आज मेरे शब्द गौण हो गए है। वर्र्धा से पधारे उनके स्नेहभाजन प्रकाश त्रिपाठी जी ने कहा कि पंडित जी को स्वर्गीय कहने में अजीब लग रहा है। प्रख्यात पत्रकार श्री विशंवम्भर नेवर ने कहा पंडित जी सच्चे इंसान थे एवं मानवीयता के पक्षधर थे।
प्रारंभ में “हे राम…..’ भजन प्रस्तुत किया सुप्रसिद्ध गायक सत्यनारायण तिवाड़ी ने। इस अवसर पर लोकप्रिय गायक और प्रबुद्ध वरिष्ठ साहित्यकार ओम प्रकाश मिश्र ने स्व. त्रिपाठी द्वारा रचित दो कविताओं की सांगितिक प्रस्तुति दी तथा प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र के संवेदना संदेश का वाचन किया डॉ. राजश्री शुक्ला ने।
कार्यक्रम का कुशल संचालन किया विशिष्ट साहित्यकार डॉ. तारा दूगड़ एवं महावीर प्रसाद रावत ने। शोक प्रस्ताव का वाचन किया दुर्गा व्यास ने। कार्यक्रम के अंत में दिवंगत आत्मा की सद्गति हेतु एक मिनट का मौन पालन किया गया।
कोलकाता एवं हावड़ा महानगर की शताधिक सामाजिक-शैक्षणिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक-आध्यात्मिक विशिष्ट संस्थाओं के पदाधिकारियों ने स्व. त्रिपाठी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए, यथा – श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी, श्री विशुद्धानन्द अस्पताल, कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी, बड़ाबाजार लाइब्रोरी, राजस्थान परिषद, वनबंधु परिषद, पूर्वांचल कल्याण आश्रम, सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय, काशी प्रयाग बंग परिषद, मातृमंगल प्रतिष्ठान, अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन, पारीक सभा, राजस्थान ब्रााहृण संघ, परिवार मिलन, विप्र फाउन्डेशन, विश्व हिन्दू परिषद, परचम, माहेश्वरी सभा, महर्षि दधिचि सेवा ट्रस्ट, राम शरद कोठारी स्मृति संघ, कलकत्ता वस्त्र व्यवसायी समिति, श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा, कलकत्ता कान्यकुब्ज वैश्य सभा, क्षत्रिय चेतना मंच, कलकत्ता प्रादेशिक माहेश्वरी सभा, शब्दाक्षर, मैं नहीं हम, आयुर्वेद प्रचारिणी सभा, संस्कृति प्रचार समिति प्रभृति।
पं. लक्ष्मीकान्त तिवारी, महावीर बजाज, बंशीधर शर्मा, राजकुमार बोथरा, आचार्य राकेश पाण्डेय, पार्षद राजेश सिन्हा, सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल, संजय हरलालका, सीमा रस्तोगी, विनय दूबे, राजीव सिन्हा, गोविन्दराम अग्रवाल, मुकुन्द राठी, महेन्द्र कुमार शर्मा, सागरमल गुप्ता, बुलाकीदास मीमाणी, राजेन्द्र कानूनगो, संजय बिनानी, भागीरथ चांडक, नन्दकुमार लढ़ा, अरुण प्रकाश मल्लावत, अशोक गुप्ता, अविनाश कुमार गुप्ता, भंवरलाल राठी, आनन्द जैन, महेश भुवालका, रमेश सोनकर, रविप्रताप सिंह, वैद्य राधेश्याम श्रीवास्तव, राजेश नागौरी, जगतसिंह बैद, मानव सराफ, सच्चिदानन्द पारीक, प्रभुदयाल केशान, चन्द्रकान्त सराफ,राजकुमार चांदबासिया ,संजय मंडल, राजेश अग्रवाल लाला, विष्णुप्रसाद मित्तल, सत्यप्रकाश राय, मनोज काकड़ा, रामचन्द्र अग्रवाल प्रभृति गणमान्य लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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