कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो बिना किसी प्रचार के अपने काम को ईमानदारी से अंजाम देते हैं। गौरव कुमार ऐसी ही शख्सियत हैं। ब्लड कैंसर से जूझ रहे अपने रिश्तेदार की तीमारदारी के लिए 15 वर्ष पहले दिल्ली स्थित एम्स में मरीजों और उनके परिजनों की तकलीफों ने गौरव को इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि यह उनके लिए आसान कतई नहीं था। बेहद कम संसाधन, लेकिन बुलंद हौसले ने गौरव की राह आसान की। फिर तो मरीजों को मदद करने का उनका सिलसिला ऐसा चला जो आज तक जारी है।
कहते हैं हौसले बुलंद हो तो तमाम बाधाएं औंधे मुंह गिर जाती हैं। गौरव के साथ भी कुछ ऐसा हुआ। सिर्फ दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश व बिहार के करीब 300 से ज्यादा कैंसर मरीजों को इन्होंने मदद की, यह काम आज भी बदस्तूर जारी है।
एक सच्चे कोरोना यौद्धा की तरह उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा की, उनके साथ 24 घंटे मौजूद रहे। कोरोना काल में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे लोगों के लिए ऑक्सीजन लंगर शुरू कराने की सोच को गौरव ने ही जन्म दिया था। गौरव का समाज के प्रति खासकर गरीब मरीजों के प्रति जो जज्बा है, वह निश्चित तौर पर प्रशंसा के काबिल है।