ईडी का खुलासा : करीब एक दशक पहले शुरू हो गई थी शिक्षक नियुक्ति में धांधली, कई प्रभावशाली लोगों के शामिल होने के साक्ष्य

 

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति धांधली की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि नियुक्ति में धांधली की शुरुआत करीब एक दशक पहले हो गई थी। ईडी के सूत्रों का दावा है कि राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्रियों पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के घरों से बरामद शिक्षा विभाग के विभिन्न दस्तावेजों और दोनों से पूछताछ के आधार पर साफ है कि शिक्षा में सरकारी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार कम से कम 10 साल पहले शुरू हुआ था। जांचकर्ताओं के एक सूत्र ने दावा किया कि भ्रष्टाचार प्राथमिक टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) 2012 से शुरू हुआ था। शुरुआती जांच में पता चला है कि नौकरी बेचने के लिए अतिरिक्त पद भी सृजित किए गए थे।

जांचकर्ताओं का दावा है कि प्रारंभिक टेट 2012 में हुआ था। बाद में 2014 टीईटी परीक्षा 2015 में हुई और 2017 की परीक्षा 2021 में आयोजित की गई थी। 2014 की उच्च प्राथमिक भर्ती परीक्षा भी समय पर नहीं हुई थी और उस परीक्षा के मूल्यांकन के आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। जांचकर्ताओं के मुताबिक स्कूल सेवा आयोग (एसएससी), प्राइमरी टीईटी और हायर प्राइमरी की सभी भर्ती परीक्षा प्रक्रिया धांधली से भरी हुई है। ईडी सूत्रों के मुताबिक पार्थ ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह 2012 में शिक्षा मंत्री नहीं थे। इसलिए उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

जांचकर्ताओं के सूत्रों का दावा है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, भर्ती घोटाले में और अधिक ‘प्रभावशाली’ लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि राज्य भर में सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, नगर पार्षदों, पंचायत अधिकारियों की सिफारिश पर नौकरियां दी गईं। जांचकर्ताओं का दावा है कि बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ है।

मुख्य रूप से सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की भर्ती अवैध रूप से की गई है और यह सभी मामलों में वित्तीय लेनदेन के माध्यम से किया गया है। ईडी के एक अधिकारी ने कहा, ‘जांच शुरुआती चरण में है। शिक्षा विभाग के कई प्रभावशाली व कई अधिकारियों की मिलीभगत की जानकारी सामने आने लगी है। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय के निजी सचिव सुकांत आचार्य और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अपदस्थ अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य समेत कई अधिकारियों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है। इस बारे में जानकारी के कई स्रोत हैं कि भ्रष्टाचार के मामले की आय कहां तक पहुंची है और संपत्ति सहित उनका निवेश कहां किया गया है।
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जांच को गुमराह कर रही है अर्पिता
– इस संबंध में जांचकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि अर्पिता जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। पूछताछ के पहले चरण में अर्पिता ने दावा किया कि वह 5-6 साल पहले पार्थ से मिली थी। शांतिनिकेतन में हालिया ‘आपा’ हाउस डीड के मुताबिक, पार्थ और अर्पिता 2012 से रिलेशनशिप में हैं। जांचकर्ताओं के मुताबिक अर्पिता पूछताछ के दौरान रो-रोकर कई चीजों से बचने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा पार्थ शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाकर खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। ईडी का दावा है कि पार्थ अर्पिता के घर से बरामद पैसे के मुद्दे से भी बचने की कोशिश कर रहे हैं।

इस बीच बेलघरिया में अर्पिता जिस फ्लैट में रहती थी, उसमें हाउसिंग कमेटी के अधिकारी सोमवार को ईडी के दफ्तर गए और कई दस्तावेज जमा किए। अर्पिता के रथतला में ‘क्लब टाउन हाइट्स’ हाउसिंग के ब्लॉक-2 और ब्लॉक-5 में फ्लैट हैं। उन दो ब्लॉक सहित आवास के मुख्य प्रवेश द्वार का रजिस्टर का खाता ईडी को सौंप दिया गया है। साथ ही मुख्य द्वार पर दस्तावेज भी जमा कराये गये हैं जिसके माध्यम से आगन्तुकों की फोटो एवं सूचना फ्लैट मालिक को भेजी जाती है। आवास अधिकारियों ने जांचकर्ताओं से आवास और दोनों ब्लॉकों के सीसीटीवी फुटेज खुद आने और एकत्र करने का अनुरोध किया। सूत्रों के मुताबिक ईडी के जांचकर्ताओं ने आवास पर जाकर फुटेज खंगाली है।

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