ममता बनर्जी को राष्ट्रीय राजनीति में उभारने वाले राजनेता सुब्रत ही थे

कोलकाता, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ नेता और ममता कैबिनेट में पंचायत मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी का निधन दीपावली की रात हो गया है। आज पूरे देश में राजनीति के फलक पर चमक रहीं ममता बनर्जी को राष्ट्रीय राजनीति में उतारने वाले शिल्पकार कोई और नहीं बल्कि सुब्रत मुखर्जी ही थे। इतना ही नहीं ममता बनर्जी को सुब्रत मुखर्जी ने हमेशा अपनी छोटी बहन की तरह स्नेह किया और हर मुश्किल वक्त में ममता के लिए सहारा बने रहे। शायद इसीलिए सुब्रत का निधन ममता के लिए इतना बड़ा झटका है कि गुरुवार रात उनके निधन के बाद वह लगभग रो पड़ी थीं और यह कहते हुए मुखर्जी के अंतिम संस्कार में शामिल होने से बनर्जी परहेज करती रही हैं कि वह उनका पार्थिव शरीर नहीं देख सकेंगी।
दरअसल ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में वर्ष 1984 में ही महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरी थीं जब उन्होंने वाममोर्चा के धाकड़ नेता सोमनाथ चटर्जी को कोलकाता की बहुचर्चित जादवपुर लोक सीट पर उस वक्त हराया था जब बंगाल में माकपा का वर्चस्व अविवादित था। तब ममता बनर्जी कांग्रेस में थीं और सुब्रत मुखर्जी भी कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे। सुब्रत की सिफारिश पर ही कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें 1984 में कोलकाता की जादवपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी इस सीट से किसी लड़ाकू नेत्री को खड़ा करना चाहते थे।
तत्कालीन बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी ने जब इस बाबत सुब्रत मुखर्जी से सलाह- मशविरा किया तो उन्होंने ममता का नाम सुझाया। प्रणब ने सुब्रत से पूछा था कि क्या ममता वहां जीत पाएंगी, इसपर सुब्रत ने कहा था कि अगर कोई सोमनाथ चटर्जी को हरा सकता है तो वह ममता ही हैं। और हुआ यही। इस सीट से सोमनाथ चटर्जी हार गए थे तथा ममता राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बन कर उभरी थी। सुब्रत मुखर्जी एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया था। उनके व्यक्तित्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके गांधी परिवार के साथ बेहद अच्छे संबंध थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपने बेटो की तरह मानती थीं। राजीव गांधी के साथ भी सुब्रत के काफी अच्छे संबंध रहे

ममता के लिए सबसे विश्वस्त राजनेता थे सुब्रत
– बाद में ममता के आह्वान पर जब वह तृणमूल कांग्रेस में आए तो लगातार मुख्यमंत्री के सबसे विश्वस्त राजनेताओं में शामिल रहे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2011 में जब ममता बनर्जी पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं उसके बाद से हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के पावन अवसर पर लगने वाले विशाल कुंभ मेले में प्रबंधन की जिम्मेदारी उन्हीं को देती थी। खास बात यह है कि एक मंझे हुए राजनेता होने के साथ-साथ सुब्रत इतने कुशल प्रबंधक थे कि आज तक गंगासागर मेले में किसी भी तरह की अव्यवस्था की कोई शिकायत नहीं मिली।

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