अमीन पठान की जगह शाहिद रिजवी बने दरगाह कमेटी के अध्यक्ष

 

चार साल का कार्यकाल हमेशा विवादों में रहा। नाजिम रहते अशफाक हुसैन ने गंभीर आरोप लगाए थे।

दोनों हाथ में लड्डू रखे रहे।

अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह में आंतरिक इंतजाम करने वाली कमेटी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। 27 जून को दिल्ली में दरगाह कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से कमेटी के सदस्य शाहिद हुसैन रिजवी को अध्यक्ष चुना गया। इसी के साथ अमीन पठान का अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल समाप्त हो गया। पठान पिछले चार वर्ष से कमेटी के अध्यक्ष थे, हालांकि इस बार भी पठान अध्यक्ष बनने की दौड़ में थे, लेकिन पूर्व नाजिम अशफाक हुसैन के साथ चलते विवाद के कारण पठान को सफलता नहीं मिली। चूंकि ख्वाजा साहब की दरगाह की ख्याति पूरे देश में है, इसलिए दरगाह कमेटी के अध्यक्ष का भी बहुत मान सम्मान होता है। लेकिन अमीन पठान का चार वर्ष का कार्यकाल हमेशा ही विवादों में रहा। पठान की कमेटी के किसी भी नाजिम से नहीं बनी। नाजिम शकील अहमद तो तंग आकर लंबी छुट्टी पर चले गए, जबकि नाजिम अशफाक हुसैन ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अमीन पठान पर गंभीर आरोप लगाए। सेवानिवृत्त आईएएस अशफाक हुसैन का तो आरोप रहा कि अमीन पठान नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए दबाव डालते हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार पूर्व नाजिम अशफाक हुसैन ने वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े दस्तावेज केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को दिखाएं, इसके बाद अमीन पठान के बजाए शाहिद हुसैन रिजवी को दरगाह कमेटी का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया। हालांकि अध्यक्ष का चुनाव कमेटी के मनोनीत सदस्य करते हैं, लेकिन इसमें अल्पसंख्यक मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ख्वाजा साहब की दरगाह के अंदर दुकानों और खादिमों क ेलिए हूजरों (बैठने का स्थान) के आवंटन में हुई अनियमितता के मामले भी चर्चाओं में रहे। आरोप है कि जो स्थान पुलिस के लिए आवंटित किया, उसे भी दरगाह कमेटी ने किसी खादिम को लीज-किराए पर दे दिया। कोरोना काल में वाहवाही लूटने के लिए कायड़ विश्राम स्थली में अस्थायी अस्पताल खोला गया, लेकिन इस अस्पताल में एक भी मरीज इलाज कराने नहीं आया। राज्य सरकार कने भी दरगाह कमेटी के अस्पताल में स्टाफ की नियुक्ति नहीं की। कायड़ विश्राम स्थली पर ख्वाजा साहब के नाम से यूनिवर्सिटी खोलने के नाम पर देशभर से चंदा वसूली का मामला भी बार बार उछलता रहा। गंभीर बात यह है कि यूनिवर्सिटी भवन का शिलान्यास तक केंद्रीय मंत्री नकवी से करवा दिया गया, लेकिन भवन की एक ईंट तक नहीं लगी। यूनिवर्सिटी निर्माण के लिए बनाई गई सोसायटी के हिसाब किताब को लेकर भी आरोप लगे हैं। कई मौकों पर अमीन पठान ने अध्यक्ष की हैसियत से आदेश दिए, जबकि ऐसे आदेश नाजिम द्वारा जारी किए जाते हैं। एक ओर भाजपा नेता बन कर अमीन पठान दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बनते रहे तो वहीं राजस्थान में क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष बन कर राज्य की कांग्रेस सरकार से भी नजदीकियां बनाए रखी। एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र हैं। वैभव गहलोत को आरसीए का अध्यक्ष बनवाने में भी पठान की सक्रिय भूमिका रही। शाहिद हुसैन रिजवी के अध्यक्ष बनने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि दरगाह कमेटी का काम काज पारदर्शी होगा। कमेटी का असल काम दरगाह में आने वाले जायरीन को सहूलियत प्रदान करवाना है। कमेटी की बैठक भी दिल्ली के बजाए अजमेर में ही होनी चाहिए। कमेटी के वरिष्ठ सदस्य मुनव्वर खान को लगातार दूसरी बार उपाध्यक्ष चुना गया है।(एस पी मित्तल)

 

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