
कोलकाता, 16 दिसंबर। पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की ड्राफ्ट मतदाता सूची मंगलवार को प्रकाशित कर दी गई है। सूची जारी होने के साथ ही अब दावा और आपत्ति से जुड़ी सुनवाई का दौर शुरू होने जा रहा है। खास बात ये है कि ड्राफ्ट सूची में नाम दर्ज होने के बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल के अनुसार, सुनवाई के दौरान मतदाताओं से पहचान और निवास से जुड़े दस्तावेज मांगे जा सकते हैं। यदि कोई मतदाता निर्धारित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो उसका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल होगा या नहीं, इसका फैसला निर्वाचन आयोग तथ्यों की जांच के बाद करेगा।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस बार करीब 58 लाख नाम ड्राफ्ट सूची से बाहर किए गए हैं। इनमें वे मतदाता शामिल हैं, जिन्हें आयोग के रिकॉर्ड में मृत बताया गया है, जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, जिनका पता नहीं चल सका या जो एन्यूमरेशन के दौरान अनुपस्थित रहे थे। जिन मतदाताओं ने तय प्रक्रिया के तहत एन्यूमरेशन में हिस्सा लिया था, उनके नाम सूची में दर्ज हैं और इसी सूची के आधार पर सुनवाई के लिए नोटिस भेजे जाएंगे।
आयोग के मुताबिक, लगभग 30 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनकी मैपिंग पूरी नहीं हो सकी है। वर्ष 2002 की पुनरीक्षण प्रक्रिया से जिनका लिंक नहीं जुड़ पाया, लेकिन 2026 की ड्राफ्ट सूची में जिनके नाम मौजूद हैं, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है। इसके अलावा आयोग की लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी सूची में शामिल मतदाताओं को भी नोटिस भेजे जाएंगे। ऐसे मतदाताओं की संख्या लगभग एक करोड़ 67 लाख बताई जा रही है। पिता और पुत्र की उम्र में असामान्य अंतर, पारिवारिक मैपिंग में गड़बड़ी या अन्य तकनीकी असंगतियां पाए जाने पर सुनवाई अनिवार्य होगी। जेंडर से जुड़ी त्रुटियों के मामलों में भी मतदाताओं को बुलाया जाएगा।
इसी के साथ जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए हैं, उनके लिए भी राहत का रास्ता खुला है। यदि कोई मतदाता यह दावा करता है कि वह जीवित है, गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया है। एन्यूमरेशन के समय किसी कारणवश शामिल नहीं हो पाया या स्थानांतरण से जुड़ी जानकारी गलत दर्ज हुई है, तो वह फिर से आवेदन कर सकता है। ऐसे मतदाताओं को छह नंबर फॉर्म के साथ डिक्लेयरेशन फॉर्म और आवश्यक सहायक दस्तावेज जमा करने होंगे।
निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जाएगी, ताकि किसी भी पात्र मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची से गलत तरीके से बाहर न हो।
