धर्म सापेक्ष जीवन जीने वाले सज्जनों का संगठित होना आवश्यक – स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज

कोलकाता । करपात्री जी फाउंडेशन की ओर से स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने गोविन्द भवन में श्रद्धालु भक्तों के जीवन में सुख – शान्ति की शुभकामना दी । स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा भारत की वर्तमान परिस्थिति में धर्म सापेक्ष जीवन जीने वाले सज्जनों का संगठित होना आवश्यक है । अकेले मणि, मोती का उतना महत्व नहीं होता, बल्कि माला में मणि, मोती की शोभा बढ़ती है । स्वामी जी ने कहा विद्वान, कथावाचक जब अकेले में रहता है, उसका समय धर्म साधना, ज्ञान अर्जित करने में व्यतीत होता है लेकिन सत्संग में बहुसंख्यक श्रद्धालु भक्तों का मार्गदर्शन करने से भक्तों के जीवन में धार्मिक निष्ठा बढ़ती है, अच्छे संस्कार जागृत होते हैं । राष्ट्र प्रथम, सनातन धर्म प्रथम पर स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने कहा सनातन धर्म के पौराणिक ग्रन्थ, साहित्य अनुपम, प्रेरणादायक हैं । उन्होंने कहा संगठन से पृथक होकर व्यक्ति को क्षणिक, सांसारिक सुख मिल सकता है लेकिन संगठन से जुड़ कर अपनी प्रतिभा, ज्ञान, शक्ति का सदुपयोग समाज एवम् राष्ट्र हित में करने से दीर्घकालिक आत्मीय सुख का अनुभव होता है । ब्रह्मचारी प्रणवानंद चैतन्य महाराज, आचार्य सागर महाराज, आचार्य आदर्श महाराज, शास्त्री विश्वजीत शर्मा, सज्जन वर्मा एवम् श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे ।

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