श्रीमद्भागवत कथा निस्वार्थ भाव से सेवा करने और परोपकार की प्रेरणा देती है

कोलकाता । भागवत कथा आत्मनिवेदन (समर्पण) की भक्ति की प्रेरणा देती है, जो सेवा का सर्वोच्च रूप है । भागवत कथा का उद्देश्य परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है, जो सेवा के माध्यम से सम्भव है । श्रीमद्भागवत कथा निस्वार्थ भाव से सेवा करने और परोपकार की प्रेरणा देती है, जिससे जीवन सार्थक है । श्रीमद्भागवत से सेवा की प्रेरणा मिलती है, यह हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और सत्कर्मों (अच्छे कार्यों) की ओर प्रेरित करती है, जिससे व्यक्ति सामाजिक सद्भाव, प्रेम और भाईचारे के साथ परोपकार की भावना से सेवा करता है । कलियुग में भागवत कथा का श्रवण सेवाभाव से जुड़कर और भी शक्तिशाली हो जाता है । उपरोक्त विचार श्री विशुद्धानंद हॉस्पिटल के अध्यक्ष बनवारीलाल सोती, सचिव सुरेन्द्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष श्याम सुन्दर अग्रवाल ने भाईश्री रमेश भाई ओझा के श्रीमुख से श्री विशुद्धानंद हॉस्पिटल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में सहयोगी संस्थाओं, कार्यकर्ताओं के प्रति आभार, धन्यवाद ज्ञापित करते हुए व्यक्त किये । सुरेन्द्र अग्रवाल ने श्री विशुद्धानंद हॉस्पिटल की निरन्तर प्रगति, आधुनिकीकरण, भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए कार्यकर्ताओं से कर्तव्य निष्ठा से सेवाकार्य करने का निवेदन किया । महावीर प्रसाद अग्रवाल, गिरधारीलाल मस्करा, शंकरलाल सणखत, बिमल भिवानीवाला, महेश भुवालका, चांद रतन लखानी, दीपक बंका, मनोज पराशर, नरेन्द्र अग्रवाल, अनिल चौधरी, नरेन्द्र बागड़ी, विष्णु शर्मा, झबरू दुजारी एवम् वक्ताओं ने कहा भागवत कथा हमें सिखाती है कि जीवन कैसे जिया जाए, जिससे आत्मीय सुख, आत्मीय शुद्धि का अनुभव होता है और आध्यात्मिक विकास होता है । संचालन दीपक बंका एवम् धन्यवाद ज्ञापन जगमोहन बागला ने किया ।

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