कोलकाता, 25 सितंबर 2025: मध्य कोलकाता की सबसे लोकप्रिय दुर्गा पूजाओं में शुमार मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन की ओर से इस वर्ष “शक्ति सागर” थीम पर आधारित 57वें वार्षिक दुर्गापूजा मंडप का गुरुवार को भव्य उद्घाटन किया गया। उद्घाटन सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने किया। इस अवसर पर क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य अतिथि शामिल हुए।
पूजा कमेटी ने इस वर्ष “शक्ति सागर के जरिये – दिव्य नारी और शाश्वत रक्षक को एक श्रद्धांजलि” देने की कोशिश की है। उद्घाटन समारोह में पार्षद एवं वार्ड-को ऑर्डिनेटर रेहाना खातून, पार्षद पियाल चौधरी, पार्षद राजेश सिन्हा, पूर्व विधायक स्मिता बख्शी और संजय बख्शी, सामाजिक कार्यकर्ता इरफान अली ताज तथा कमेटी अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल मौजूद रहे।
मंडप इस वर्ष कला, अध्यात्म और पर्यावरणीय चेतना का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है। मंडप के ऊपरी हिस्से में भगवान कृष्ण की एक आकर्षक मूर्ति प्रदर्शित की गई है, जिसमें उन्हें शाश्वत कालचक्र धारक के रूप में दिखाया गया है। यह मूर्ति न्याय, करुणा और ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक बन आगंतुकों का स्वागत करती है।
अंदर प्रवेश करते ही श्रद्धालु एक अद्भुत पानी के नीचे की दुनिया में पहुँच जाते हैं। यहाँ मूंगे के महल, तैरती मछलियाँ और डॉल्फ़िन प्राचीन जलमग्न मंदिरों का रहस्य उजागर करते हैं। इसी के बीच एक छोटी नाव समुद्र में तैरती दिखाई देती है, जो प्लास्टिक और कचरा समेटती हुई दर्शकों को संदेश देती है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के महत्व पर ध्यान दिलाना है।
समिति के महासचिव सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा, “इस वर्ष की थीम शक्ति सागर केवल एक कलात्मक रचना नहीं है, बल्कि शक्ति, सद्भाव और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के लिए सामूहिक प्रार्थना है। हम इस उत्सव को दिव्य स्त्रीत्व और पृथ्वी के संरक्षण को समर्पित करते हैं। प्रकृति की रक्षा के बिना कोई भी पूजा अधूरी है।”
मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा, अपनी सृजनात्मक थीम और भव्य सज्जा के कारण कोलकाता की प्रतिष्ठित पूजाओं में गिनी जाती है। 1969 से स्थापित यह यूथ एसोसिएशन हर साल वास्तुकला और कलात्मक उत्कृष्टता के जरिये समाज को संदेश देने का प्रयास करता है। इस पूजा ने अब तक कई श्रेणियों में पुरस्कार भी हासिल किए हैं।
इस वर्ष का “शक्ति सागर” न सिर्फ भक्तों को दृश्य और आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का जीवंत संदेश भी दे रहा है।