हावड़ा, 09 जुलाई। पश्चिम बंगाल की स्वनामधन्य संस्था ‘सलकिया हिन्दी साहित्य गोष्ठी ‘के तत्वावधान में गुरू पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर वरिष्ठ शिक्षक व गीतकार चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी ‘ने अपने वक्तव्य में कहा कि शास्त्रों में गुरू महिमा भगवान से भी बढ़कर बताई गई है। वैसे मनुष्य जन्म से ही किसी न किसी को गुरू बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे पहले गुरू माता-पिता होते हैं, जो व्यक्ति का लालन-पालन करके संसार की डगर में आगे बढ़ाते हैं। इसके बाद शिक्षा गुरू होते हैं जो व्यक्ति को तमाम सांसारिक ज्ञान का उपदेश करके उसे निखारते हैं। कार्यक्रम संयोजक डाॅ मनोज मिश्र ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि इस धरती पर जितने भी महान महापुरूष हुए हैं उन सब ने किसी गुरू का सान्निध्य प्राप्त किया है, उनकी सेवा की है और उनकी कृपा को पचा कर संसार में अपना नाम रोशन किया है। गुरूओं की महिमा का बखान अपने गीत, गजल, कविता के माध्यम से जिन्होंने रचनाएं पढीं उनमें कमल पुरोहित ‘अपरिचित ‘,भारती मिश्र, संचिता सक्सेना, सेराज खान ‘बातिश ‘,जतिब हयाल, ओमप्रकाश चौबे, डाॅ रमाशंकर सिंह, प्रकाश प्रियांशु, चन्द्र भानु गुप्त ‘मानव ‘,रामाकांत सिन्हा ‘सुजीत ‘,नन्दू बिहारी, संजय शुक्ल, विजय इससर ‘वत्स ‘प्रमुख थे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार डाॅ अभिज्ञात ने की। मुख्य अतिथि नन्द लाल सेठ ‘रौशन ‘,विशिष्ट अतिथि रणजीत भारती, रामपुकार सिंह ‘पुकार गाजीपुरी ‘तथा राम शिरोमणि उपाध्याय ‘पथिक जौनपुरी ने मंच की शोभा बढ़ायी। कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन प्रदीप कुमार धानुक ने किया।