छापर में बनेगी देश की सबसे बड़ी गौशाला: 3000 बीघा में मिलेगा एक लाख गौवंश को संरक्षण

गाय और गोपाल की धरती पर सेवा का संकल्प: छापर में होगा एक लाख गौवंश का संरक्षण”

“गोपालानंद महाराज के सान्निध्य में ऐतिहासिक भूमि पूजन, गोसेवा का नया कीर्तिमान”

 चूरू | 4 जुलाई 2025(रविंद्र आर्य) ; राजस्थान के चूरू जिले के छापर कस्बे में देश की अब तक की सबसे बड़ी गौशाला निर्माण का भूमि पूजन संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर अनेक संतों, गौसेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में 3000 बीघा भूमि पर गौशाला निर्माण की शुरुआत की गई, जिसमें एक लाख से अधिक गोवंश को संरक्षण मिलेगा।

यह आधुनिक गौशाला ना केवल गायों के लिए एक सुरक्षित आश्रयस्थल होगी, बल्कि इसे वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और आत्मनिर्भर मॉडल पर विकसित किया जाएगा। भूमि पूजन के अवसर पर संत शिरोमणि महंत चन्द्रनाथ सहित कई संत-महापुरुषों ने आशीर्वचन दिए और गौसेवा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताया।

गाय और गोपालन का देश है भारत

कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि भारत की आत्मा गाय में बसती है। हमारी संस्कृति में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। छापर में बनने वाली यह गौशाला एक प्रेरणा बनेगी जो पूरे देश में गौसेवा के प्रति जागरूकता फैलाएगी।

सेवा का अद्वितीय संकल्प

इस गौशाला परियोजना में प्रतिदिन लाखों लीटर पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 14 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जा रही है, जिससे पीने और सिंचाई दोनों की व्यवस्था होगी। साथ ही पशुओं के चारे की आपूर्ति के लिए गोचरण भूमि और फोडर यूनिट भी स्थापित की जाएंगी।

आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगी गौशाला

यह परियोजना एक मिशन है, जिसमें सोलर एनर्जी, बायोगैस प्लांट, ऑटोमैटिक फीडिंग सिस्टम, चिकित्सकीय सुविधाएं, और रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। यहां देशभर से बीमार, लावारिस और वृद्ध गायों को लाकर सेवा दी जाएगी।

स्थानीय सहयोग और संकल्प

इस ऐतिहासिक भूमि पूजन कार्यक्रम में चूरू, सुजानगढ़, रतनगढ़, सरदारशहर सहित आसपास के गांवों से हजारों लोग उपस्थित रहे। यह गौशाला स्थानीय जनता, संत समाज और सरकार के सहयोग से समाज सेवा और सनातन संस्कृति के संरक्षण का एक आदर्श केंद्र बनेगी।

छापर कस्बे के श्री रामशंकर गोशाला ट्रस्ट के बीड़ क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी आधुनिक गौशाला का निर्माण होगा जिसमे 1000 करोड़ रुपए की लागत से करीब 3000 बीघा में बनने वाली प्रस्तावित गौशाला में एक ही स्थान पर करीब एक लाख से अधिक गायों को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। जो देश की एक मात्र गौशाला होगी जहां गाया और गोवंश को आधुनिक सुविधाएं मिलेगी।

इस प्रस्तावित गौशाला का गोपाल परिवार संघ तथा दातादेवी फाउण्डेशन के दिशा निर्देशन में मंगलवार शाम गोधूली वेला में ग्वाल संत गोपालानंद सरस्वती, गोकथा वाचक दीदी श्रद्धा सरस्वती के सान्निध्य में भूमि पूजन हुआ।

गाय और गोपाल का देश है भारत

भूमि पूजन समारोह में ग्वाल संत गोपालानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गौमाता की समर्पित भाव से सेवा, सत्कार व सुरक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा यह गोपाल और गाय का देश है जहां गाय यदि दुखी है तो हम कैसे सुखी रह सकते हैँ। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर तथा मूत्र की महिमा का वर्णन न केवल वेद पुराण बल्कि आधुनिक ग्रंथों में भी किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत देश की संम्प्रभुता व सनातन धर्म की रक्षा के लिए हमें गोमाता का संरक्षण करना चाहिए।

महाराज ने कहा कि मानव जीवन की सार्थकता व सफलता में गाय की भूमिका सर्वोपरि है। इसलिए गोमाता सुखी होगी वह क्षेत्र भी सुखी व सम्पन्न होगा। ग्वाल संत ने कहा कि छापर के बीड़ क्षेत्र जैसी भूमि देश में कहीं और नहीं। गौशाला निर्माण पर लगने खर्च पर कहा कि हमें सभी गो भक्तों से इस पुनीत कार्य में अंशदान लेना है ताकि गोसेवा के नजरिये से भारत देश एकता के सूत्र में बंध सके। ट्रस्टी विनोद जाजू, बजरंग बाहेती, योगी श्यामनाथ व गो कथावाचक श्रद्धा दीदी ने विचार व्यक्त किए।

एक लाख गोवंश की सेवा का संकल्प

श्री रामशंकर गोशाला अध्यक्ष जयप्रकाश सोनी ने बताया कि कस्बे के सेठ गोविंदराम पेड़ीवाल परिवार की ओर से गोशाला को प्रदत्त 3000 बीघा जमीन पर गौशाला का निर्माण होगा। गौशाला में एक लाख गोवंश की सेवा का संकल्प लिया गया है जो एक ही जगह पर इतनी संख्या में होना एक रिकॉर्ड होगा।

14 किलोमीटर दीवार

गौशाला के मंत्री राधेश्याम सारड़ा ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व में गोशाला की 3000 बीघा भूमि के चारों और 14 किलोमीटर दीवार का निर्माण किया जा चुका है। इसके साथ यहां नंदीशाला का भी निर्माण भी इसी भूमि पर हो चुका है जिसमें सैकड़ों नंदी की सेवा कार्य चालू है। भूमि पूजन के बाद आने वाले तीन चार वर्ष में इस गौशाला के निर्माण कार्य को पूर्ण कर गोसेवा का अभूतपूर्व कार्य छापर कस्बे में होगा।

इस दौरान ट्रस्टी बजरंगलाल बाहेती, सत्यनारायण राठी, विनोद जाजू, हनुमान लाहोटी, रामकिशन मुंधड़ा, सीताराम पेड़ीवाल, सूर्यप्रकाश बाहेती, रतनलाल पुंगलिया, बीकानेर के राधेश्याम राठी, केसरदेसर के प्रयाग चांडक, नोखा के आसकरण सींथल के बाबूलाल, पालिकाध्यक्ष श्रवण माली, भाजपा अध्यक्ष गजानंद स्वामी, जयराम जांगिड़, रामनिवास जाट, प्रदीप सुराणा, महेश तापड़िया, चन्द्रप्रकाश पेड़ीवाल आदि मौजूद रहे।

लेखक : रविंद्र आर्य
(विश्लेषणात्मक पत्रकार, लेखक और भारतीय लोकसंस्कृति के संवाहक हैं।)

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