मर्यादित आचरण करना, भक्तों का मार्गदर्शन आचार्य पद की गरिमा, प्रतिष्ठा है – – स्वामी विशोकानंद भारती

कोलकाता । निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज, राजगुरु बीकानेर का सत्संग भवन में भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज एवम् श्रद्धालु भक्तों ने स्वागत किया । स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने मातृ देवो भव, पितृ देवो भव परम्परा में आचार्य देवो भव पर अपने विचारों से श्रोताओं को भाव विभोर करते हुए कहा मर्यादित आचरण करना, भक्तों का मार्गदर्शन आचार्य पद की गरिमा, प्रतिष्ठा है । वैदिक सनातन परम्परा में भारत भूमि पर आद्य शंकराचार्य का अवतरण हुआ । आद्य शंकराचार्य ने चार मठ की प्रतिष्ठा कर सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की । स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने कहा अयोध्या में श्रीराम लला (मन्दिर) की प्रतिष्ठा भी वैदिक सनातन हिन्दू धर्म के प्रति जागरूकता का प्रतीक है । सम्पूर्ण भारत में साधु समाज, दशनाम अखाड़े, वैष्णव एवम् अन्य सम्प्रदाय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा सूर्यवंश एवम् चन्द्रवंश के राजाओं का मार्गदर्शन करने वाले विद्वतजनों, मनीषियों को आचार्य माना गया है । गुरुकुल में अध्ययनरत आचार्य वेद – धर्म शास्त्र का मंथन कर अपने ज्ञान से श्रद्धालु भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं । संन्यास, संन्यासी का संरक्षण गोविन्द मठ की परम्परा है । सत्संग भवन में 27 जून तक गुरु गीता पर प्रवचन हो रहा है । सत्संग भवन के ट्रस्टी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, दीपक मिश्रा ने भक्तों से गुरु गीता प्रवचन श्रवण कर अक्षय पुण्य अर्जित करने का निवेदन किया ।

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