रानीगंज। रानीगंज के प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक बरदही जलाशय और इससे संबंधित लगभग 32 बीघा जमीन पर भू-माफियाओं द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण को लेकर एक बार फिर विवाद गरमा गया है। जलाशय बचाओ कमेटी के प्रमुख सदस्य आसनसोल नगर निगम के पार्षद दिवेंदु भगत ने शुक्रवार को इस संदर्भ में चिंता जताते हुए कहा कि आसनसोल नगर निगम की ओर से एक निजी सर्वेयर को सर्वेक्षण और नपाई के लिए भेजा गया था, लेकिन इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग को सूचना दे दी गई है और अब आगामी 3 जून को फिर से नपाई और विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा। दिवेंदु भगत ने आरोप लगाया कि 159 ए आर अंतर्गत एक बड़े जलाशय को अवैध तरीके से भरी गई वास्तु में परिवर्तित’ कर उसकी बिक्री की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि,भू-माफियाओं ने बड़ी चालाकी से तत्कालीन बीएलआरओ और अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से जलाशय की जमीन पर कब्जा किया और उसे रिहायशी मकानों और फ्लैटों में तब्दील कर दिया गया है। बरदही जलाशय सिर्फ रानीगंज ही नहीं, पूरे इलाके के लिए एक पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि रानीगंज और आस-पास के क्षेत्रों में जिन-जिन स्थानों पर सरकारी जमीन और जल निकायों (तालाब-पोखर) पर अतिक्रमण हुआ है, उन सभी की जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन के उद्देश्य से राज्य में “पोखर संजीवनी योजना” जैसी कई पहल शुरू की हैं। इस योजना के तहत पुराने पोखरों की सफाई, उनका जीर्णोद्धार, तथा उनकी सरकारी रजिस्ट्रेशन को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाई गई है। मुख्यमंत्री कई बार यह कह चुकी हैं कि “राज्य की जमीन और जल निकायों पर अवैध कब्जा किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” जलाशय बचाओ कमेटी ने स्पष्ट किया है कि वे ममता बनर्जी के इस विज़न को ज़मीनी स्तर पर लागू करने के लिए कृतसंकल्प हैं।