
हावड़ा, 05 मई। पश्चिम बंगाल की स्वनामधन्य संस्था ‘सलकिया हिन्दी साहित्य गोष्ठी ‘के बैनर तले विश्व हास्य दिवस का पालन किया गया। स्वागत वक्तव्य में कार्यक्रम के संयोजक डाॅ मनोज मिश्र ने कहा कि इस संस्था को पचहत्तर वर्ष हो गए और आज भी अनवरत कार्यक्रम होता आ रहा है आप सबके सहयोग और सक्रियता से सम्भव हो पा रहा है।उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह आपलोग आते रहेंगे तो निश्चित संस्था को जीवित रखा जा सकता है। समारोह के अध्यक्ष व हास्य-व्यंग्य के धुरंधर कलमकार जय कुमार ‘रूसवा ‘ने बताया कि विश्व हास्य दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है जो हंसी और इसके अनेक उपचारात्मक लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पूरे संसार में मनाया जाता है।

उन्होंने एक रचना पेश की-शादी में तो सूट रेडियों साइकिल घड़ी मिली, तोहफों में भी रंग-बिरंगी चीजें बड़ी मिली। सात फेरों ने ऐसा फेरे में डाला मुझको, जुट खोपड़ी बीवी घर की खटिया खड़ी मिली। सुनाकर खूब तालियां मिली। इस हास्य दिवस के अवसर पर जाने-माने गजलकार नन्दलाल सेठ ‘रौशन ‘,रणजीत भारती, कमल पुरोहित ‘अपरिचित ‘,डाॅ राजन शर्मा, ओमप्रकाश चौबे, मोहम्मद अय्यूब, नजीर राही, भारती मिश्र, रामाकांत सिन्हा ‘सुजीत ‘,संचिता सक्सेना, अवधेश मिश्र ‘सबरंग ‘,रामनारायण झा ‘देहाती ‘ने हास्य की कविताएँ सुनाकर इस महत्वपूर्ण दिवस को सार्थक कर दिये। कार्यक्रम का आगाज वरिष्ठ कवयित्री उषा जैन ने सरस्वती वंदना से की। मंचासीन मुख्य अतिथि राम पुकार सिंह ‘पुकार गाजीपुरी ‘,विशिष्ट अतिथि दया शंकर मिश्र ने गरिमा बढायी।काव्य गोष्ठी का प्रभावशाली संचालन प्रदीप कुमार धानुक व धन्यवाद ज्ञापन डाॅ राजन शर्मा ने किया।
