शिष्य नरेन्द्र (विवेकानंद) जैसा सतपात्र हो, गुरु रामकृष्ण जैसा हो

कोलकाता । करपात्री जी फाउंडेशन के स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज का गोविन्द भवन, कोलकाता में धार्मिक सत्संग में परमहंस मठ व मिशन, ब्रह्ममयी काली मन्दिर, नोआपाड़ा की ओर से स्वामी परमात्मानंद महाराज ने स्वागत किया । स्वामी चैतन्य महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा रामकृष्ण परमहंस ने नरेन्द्र की चेतना को जागृत कर विवेकानंद नाम दिया । शिष्य नरेन्द्र जैसा सतपात्र हो, गुरु रामकृष्ण जैसा हो, भारत के साथ विश्व में रामकृष्ण परमहंस की पावन कृति की पताका फहरा कर विवेकानंद ने गुरु एवम् भारत का गौरव बढ़ाया । बंगभूमि में वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चन्द्र चटर्जी, जन गण मन के रचयिता कविगुरू रविन्द्र नाथ टैगोर, स्वाधीनता संग्राम के नायक सुभाष चंद्र बोस, चैतन्य महाप्रभु, महर्षि अरविन्द एवम् अनेक महापुरुषों ने बंगभूमि का गौरव बढ़ाया है । स्वामी परमात्मानंद महाराज ने कहा रामकृष्ण परमहंस बंगाल के एक महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने देवी काली की भक्ति और सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया, जिससे स्वामी विवेकानंद जैसे शिष्य प्रेरित हुए और वैदिक सनातन धर्म का विश्व में प्रचार किया । रामकृष्ण परमहंस ने भक्ति और वेदांत के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाया । परमहंस सम्मान उस संन्यासी को दिया जाता है जिसने ज्ञान की परम अवस्था प्राप्त कर ली हो, जो आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचारक हैं । ब्रह्मचारी प्रणवानंद चैतन्य महाराज, आचार्य सागर महाराज, आचार्य आदर्श महाराज, शास्त्री विश्वजीत शर्मा एवम् श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे ।

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