वर्षी तप का पारणा जैन धर्म में आत्म – शुद्धि, ध्यान और संयम का प्रतीक है

कोलकाता । गणिवर्य रविपद्मसागर महाराज के वर्षी तप का पारणा महोत्सव भक्ति भाव से मनाया गया । जैन समाज के श्रावक – श्राविकाओं ने गन्ने का रसपान करवाकर तपस्वियों के तप की अनुमोदना की । आचार्य विनयसागर सुरीश्वर महाराज एवम् नयेपदमसागर महाराज के सानिध्य में मुम्बई में सम्पन्न महोत्सव में मुनिराज ध्यान पद्मसागर महाराज, अक्षय पद्मसागर महाराज एवम् 127 श्रावक – श्राविकाओं के तप का भी पारणा हुआ । आचार्य विनयसागर सुरीश्वर महाराज ने अपने आशीर्वचन में मन, वचन और काया से आध्यात्मिक रहने पर जोर दिया। उन्होंने श्रावक – श्राविकाओं से कुरीतियों का त्याग करने और धार्मिक प्रवृतियों की तरफ बढ़ने का आह्वान किया। गणिवर्य रविपद्मसागर महाराज ने बताया वर्षी तप का पारणा जैन धर्म में आत्म – शुद्धि, ध्यान और संयम का प्रतीक एवम् महत्वपूर्ण उत्सव है । जीवन में तप करते रहें, कर्मों की निर्जरा करते अपने लक्ष्य को प्राप्त करें । यह उत्सव उन अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है जिन्होंने वर्ष भर उपवास का पालन किया है । मान्यता है कि पारणा महोत्सव में हिस्सा लेने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । इस महोत्सव में भगवान आदिनाथ की प्रक्षाल पूजा की जाती है । समाजसेवी कमलसिंह रामपुरिया, माणकचंद सेठिया, जतनलाल रामपुरिया, मोहनलाल कोचर, माणकचंद दुगड़, बिमलसिंह रामपुरिया, विजयचंद बैद, राजेन्द्र जैन, रतनचंद बांगाणी, संजय रामपुरिया, विनीत रामपुरिया एवम् समाजसेवियों ने वर्षी तप के पारणा महोत्सव पर शुभकामना दी ।

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