कुल्टी।सीतारामपुर रेलवे स्टेशन के नज़दीक एक छोटी सी बाज़ार, जो नीचे बाजार के नाम से जानी जाती हैं। एक समय था कि जब यह बाजार सीतारामपुर के रेलवे कर्मचारियों के कारण जगमग एवं भीड़-भाड़ वाला बाज़ार हुआ करता था। अब यह बाजार रेलवे की अंदर आ कर लगभग खत्म हो चुकी हैं। फिर भी लोगों की रोजमरा की हर समान यहां मुहैया हो जाती है। लोगों को कपड़े जूते, राशन, सब्जियां, मिठाइयां आदि यहां से उपलब्ध हो जाती है। स्थानीय लोगों को नियामतपुर बाजार जाने के लिए टोटो भी यहीं से मुहैया होती है। जिसके लिए एक टोटो स्टैंड भी बनी हुई है। उसी टोटो स्टैंड के नजदीक भरी बाजार में सरेआम सट्टेबाजों का एक ग्रुप निडर होकर सट्टा खिलाता है। जहां सट्टे में पैसे लगाने के लिए आसपास के स्थानीय युवक ब कुछ दुकानदारों की भीड़ जुटी हुई रहती है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है की खुलेआम सट्टेबाजी से बाजार में आए हुए लोग परेशान हो रहे हैं टोटो की सवारियों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है की सट्टाबाजी केंद्र से कुछ ही दूर में एन.डी राष्ट्रीय उच्च माध्यमिक विद्यालय है, जहां से प्रत्येक दिन सैकड़ों छात्र-छात्राओ का आना-जाना लगा रहता है, जिससे विद्यार्थियों पर भी गलत प्रभाव पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा कई बार छापा हो चुके हैं, पर सट्टा बंद कराने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रही है, सट्टेबाजों के सामने प्रशासन बिल्कुल लाचार दिख रही है। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय नेता सफेद पौष पहन कर सट्टे का विरोध न कर अपने मुंह में ताले जड़े हुए हैं। सट्टेबाजी के कारण बाजार के कई छोटे-मोटे दुकानदार अपनी पूंजी गवा बैठे है। सूत्रों के हवाले खबर मिली है कि इस सट्टेबाजी के पीछे कुछ सफेद पौष वालों का भी हिस्सा है, इस लिए वो सट्टेबाजी को ओर बढ़ावा दे रहे हैं, सट्टाबाज निडर होकर सट्टाबाजी कर रहें हैं। वहीं जब हमारे संवादाता इस ख़बर की पड़ताल करने पहुंची तो देखा की वहा सट्टेबाजी के साथ–साथ झारखंड लॉटरी बैचने वालों ब खरीदने वालों का मेला सा लगा हुआ है। झारखंड लॉटरी जो कि बंगाल में गैरकानूनी हैं, लेकिन यहां निडर हो कर धड़ल्ले से झारखंड लॉटरी बेचा जा रहा है। यह खबर कई दुकानदारों द्वारा हमारे संवाददाता को सूचना देने के बाद की जा रही है, यदि इस खबर के बाद भी सीतारामपुर नीचे बाजार से सट्टा बंद नहीं होती है तो आप समझ सकते हैं सफेद पौष वाले गिरोह का एक मोटी रकम हिस्से के तौर पर जाती है, जो सट्टेबाजी को रोक नहीं रही है।