
चित्तरंजन, (पारो शैवलिनी) : कोलकाता हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ0 रावेल पुष्प ने रविवार को रूपनारायणपुर नान्दनिक हाल में आयोजित एक साहित्य सभा में कही। उन्होंने कहा,अगर अनुवाद की परंपरा नहीं होता तो रवीन्द्र नाथ टैगोर लिखित कविता संग्रह गीतांजलि का मर्म देश-विदेश में लोकप्रिय नहीं होता।ना उसे नोवेल पुरस्कार ही मिलता।हम हर भाषा-भाषी के साहित्य प्रेमी एकाकी ही रह जाते। वहीं,कोलकाता की डाक्टर शुभ्रा उपाध्याय ने लघुकथा की विशेषता पर बोली।उन्होंने कहा,एक समय था जब पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा को जगह भरने भर माना जाता था।मगर,आज लघुकथा साहित्य रसिकों के लिए अनिवार्य हो गया है।इनके अलावा विश्वदेव भट्टाचार्जी,शताब्दी मजूमदार आदि ने मंच को संबोधित किया।
इस साहित्य सभा में इनके अलावा भारतीय पत्रकार सुरक्षा संघ के पश्चिम बंगाल प्रभारी प्रह्लाद प्रसाद के साथ प्रदीप बनर्जी,सुभाष चन्द्र बोस,कवि अमित बागल,बासुदेव मंडल,जयन्त सरकार,श्रावणी चक्रवर्ती,प्रसून राय आदि।मंच संचालन अरिजीत ज्वारकार एवं ताप्ति दे ने संयुक्त रूप से किया।
