भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है श्रीविद्या — स्वामी परमात्मानंद महाराज

कोलकाता । ब्रह्ममयी काली मन्दिर, नोआपाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मानंद महाराज द्वारा लिखित पुस्तक श्रीविद्या सपर्या विधि का लोकार्पण स्वामी विवेकानंद के पैतृक निवास पर समारोह में किया गया । प्रकाशक अभय बर्मन, संयोजक कोस्तभ घोष ने अतिथियों का स्वागत किया । स्वामी परमात्मानंद महाराज ने कहा 10 महाविद्याओं में तीसरी विद्या है श्रीविद्या । भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है श्रीविद्या । श्री विद्या देवी ललिता त्रिपुरसुन्दरी से सम्बन्धित तन्त्र विद्या का हिन्दू सम्प्रदाय है। ललितासहस्रनाम में इनके एक सहस्र (एक हजार) नामों का वर्णन है । ललितासहस्रनाम में श्रीविद्या की संकल्पनाओं का वर्णन है । श्रीविद्या सम्प्रदाय आत्मानुभूति के साथ-साथ भौतिक समृद्धि को भी जीवन के लक्ष्य के रूप में स्वीकार करता है । श्री विद्या साधना से स्वास्थ्य, नौकरी, धन, विवाह जैसी समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है एवम् सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं । श्रीविद्या साधना एक आध्यात्मिक अनुशासन है, यह साधक को आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है । श्रीविद्या साधना में दीक्षा लेने के बाद, साधक आध्यात्मिक रूप से परिपक्व होता है और आध्यात्मिक उन्नति करता है । श्रीविद्या साधना में फूल, धूप, और मंत्रों का जाप किया जाता है । परमहंस मठ व मिशन के प्रेमानंद नाथ, पण्डित विष्णु झा, दुर्गानंद नाथ, आशीष पॉल एवम् विशिष्ट समाजसेवी उपस्थित थे ।

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