एसएससी भर्ती विवाद : 26 हजार पैनल रद्द करने की मांग पर माकपा में ही विरोध के घेरे में विकाश भट्टाचार्य

 

कोलकाता, 29 जनवरी । पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती मामले में 26 हजार उम्मीदवारों के पैनल को रद्द कर नई परीक्षा कराने की मांग करने वाले वामपंथी सांसद और वरिष्ठ वकील विकाशरंजन भट्टाचार्य अब खुद अपनी पार्टी के विरोध का सामना कर रहे हैं। उनके इस बयान के खिलाफ माकपा की छात्र शाखा एसएफआई और शिक्षक संगठन एबीटीए ने नाराजगी जताई है।

विकाशरंजन भट्टाचार्य ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि 2016 की एसएससी भर्ती प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ, इसलिए पूरे पैनल को रद्द कर नई परीक्षा ली जानी चाहिए। लेकिन उनके इस बयान के खिलाफ सबसे पहले एसएफआई के राज्य सचिव देबांजन डे बुधवार को सामने आए। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार योग्यता के आधार पर नौकरी पा चुके हैं, उनकी नौकरी छीनी नहीं जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि पैनल को रद्द करने से नई परीक्षा आयोजित करने में दो से तीन साल लग सकते हैं, जिससे स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी।

एसएफआई के अलावा माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व छात्र नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी विकाशरंजन भट्टाचार्य के बयान का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले वही थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि योग्य उम्मीदवारों की नौकरियां छीनी जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि भर्ती प्रक्रिया में क्या बदलाव किए जाने चाहिए, लेकिन जो लोग परीक्षा पास कर चुके हैं और योग्य हैं, उनकी नौकरी नहीं जानी चाहिए।

माकपा के शिक्षक संगठन एबीटीए ने भी पैनल रद्द करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एबीटीए के महासचिव सुकुमार पाइन ने कहा कि 26 हजार की भर्ती प्रक्रिया में कई योग्य उम्मीदवार शामिल हैं, जिन्होंने पहले से ही शिक्षक के रूप में काम किया था और उच्च वेतन पाने या अपने स्थान को बदलने के लिए दोबारा परीक्षा दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में योग्य उम्मीदवारों की नौकरी बचाने के लिए दो वरिष्ठ वकील भी भेजे हैं।

इस मामले में कोलकाता के धर्मतला में प्रदर्शन कर रहे शिक्षक भी भट्टाचार्य के बयान से नाराज हैं। ये शिक्षक छह साल से अपनी नौकरी कर रहे हैं और अब वे दोबारा परीक्षा देने के लिए तैयार नहीं हैं। एक प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा कि जब वे पहले ही परीक्षा पास कर चुके हैं और सभी दस्तावेज जमा कर चुके हैं, तो उन्हें फिर से परीक्षा देने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? उन्होंने भट्टाचार्य पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर उन्हें खुद दोबारा माध्यमिक परीक्षा देने को कहा जाए, तो क्या वे पास कर पाएंगे?

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच ने पूछा कि क्या 2016 की नौंवी-दसवीं, ग्यारहवीं-बारहवीं और ग्रुप सी-डी की भर्ती प्रक्रिया में योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों को अलग किया जा सकता है? इस पर वकीलों ने कहा कि यह संभव नहीं है और पूरे पैनल को रद्द कर फिर से परीक्षा कराई जानी चाहिए। इस पर अदालत ने भी आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह एक बहुत बड़ा काम होगा। इस मामले में कोर्ट का फैसला आने वाले दिनों में तय करेगा कि क्या 26 हजार उम्मीदवारों को फिर से परीक्षा देनी होगी या नहीं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?