जापान का पश्चिम बंगाल पर विशेष ध्यान, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर

कोलकाता, 24 जनवरी । जापान भारत के साथ अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करना चाहता है। इस दिशा में टोक्यो प्रशासन विशेष रूप से पश्चिम बंगाल को प्राथमिकता दे रहा है। इस रणनीति को समझने और आवश्यक अध्ययन के लिए नई दिल्ली स्थित जापानी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी आबे नोरियाकी कोलकाता पहुंचे हैं।

नोरियाकी ने हिंदुस्थान समाचार बांग्ला सेवा के कंसल्टिंग एडिटर अशोक सेनगुप्ता के साथ विशेष बातचीत की। इस दौरान नोरियाकी ने राज्य की राजनीति, शासक और विपक्षी दलों की भूमिका, उनके बीच के संबंध और अल्पसंख्यक समुदायों के राजनीतिक प्रभाव जैसे कई विषयों पर बात की। इसके साथ ही पड़ोसी बांग्लादेश में चल रहे घटनाक्रम पर बंगाल के लोगों के मनोभाव के बारे में भी उन्होंने जानकारी ली।

इसके अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति और इन मामलों में पश्चिम बंगाल की सक्रियता पर भी चर्चा हुई। नोरियाकी ने राज्य में औद्योगिकीकरण के मुद्दे, केंद्र और राज्य सरकार के बीच के राजनीतिक समीकरण, हिंदी भाषा के प्रति स्थानीय जनता का नजरिया और सांप्रदायिक सौहार्द जैसे विषयों पर जानकारी प्राप्त की। इस दौरान अशोक सेनगुप्ता ने जापान पर केंद्रित अपनी बांग्ला पुस्तक “उदित सुर्येर देशे” की प्रति नोरियाकी को भेंट की।

इससे पहले गुरुवार को नोरियाकी ने तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद, जो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, उनसे मुलाकात की थी। शुक्रवार को उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय में आयोजित एक द्विपक्षीय कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। हाल ही में नोरियाकी को भारत स्थित जापानी दूतावास में मिनिस्टर (पॉलिटिकल) के पद पर नियुक्त किया गया है।

माना जा रहा है कि अमेरिका में राजनीतिक बदलाव के चलते भारत और चीन के साथ उसके संबंधों में बदलाव हो सकते हैं। इसमें बांग्लादेश की स्थिति, साथ ही चीन, भारत और पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऐसे में जापान उपमहाद्वीप में राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को गहराई से समझते हुए अपनी रणनीति तैयार करना चाहता है

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