नेताजी क्रांतिचेतना के मूर्तिमान स्वरूप थे- डॉ. ऋषिकेष राम

 

राष्ट्रीय कवि संगम ने नेताजी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाया

रिसड़ा : 23 जनवरी। “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे चमकदार व्यक्तित्व सुभाष का था।वे क्रांतिचेतना के मूर्तिमान स्वरूप थे।औप निवेशिकता को उन्होंने सबसे शक्तिशाली चुनौती दी।भारत की आज़ादी उनके संघर्षों और प्रयासों का प्रतिफल है।वे हमारे अग्रणी राष्ट्रनायक हैं’
– ये उदगार हैं प्रांतीय उपाधक्ष डॉ. ऋषिकेश राय के जो कि राष्ट्रीय कवि संगम के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नेताजी जयंती पर बोल रहे थे। प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉक्टर ऋषिकेश राय ने अपने वक्तव्य में नेताजी के बारे में ऐसे रहस्यमय तथ्यों का उल्लेख किया जिसे तकनीकी मीडिया अभी तक स्पर्श नहीं कर पाई है।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर राष्ट्रीय कवि संगम की रिसड़ा इकाई द्वारा संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष – डॉ. गिरिधर राय की अध्यक्षता में एक अभूतपूर्व परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया, जिसका संयोजन एवं कुशल संचालन रेखा रजक ने किया।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. राय ने राष्ट्र के निर्माण में नेताजी के अभूतपूर्व योगदान, उनके सम्मान एवं गौरव गाथा का उल्लेख किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कंचन राय की सरस्वती वंदना से हुआ। प्रांतीय सह महामंत्री बलवंत सिंह गौतम ने अपने वक्तव्य में नेताजी के पराक्रम का उल्लेख किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जिन रचनाधर्मियों ने साथ दिया उनके नाम हैं – कंचन राय, हिमाद्रि मिश्रा, रमाकांत सिन्हा, स्वागता बसु, नंदू बिहारी, देवेश मिश्र, विजय शर्मा विद्रोही, प्रगति शंकर, पूर्णिमा कुमारी पाठक,राजीव मिश्रा एवं शिविर धंधानिया ।
नेताजी के त्याग, शौर्य और बलिदान की कहानी का वर्णन में सभी काव्य प्रेमियों की रचनाएँ अत्यंत ओजपूर्ण एवं प्रशंसनीय रहीं। श्रोता के रूप में नीता अनामिका सहित कई श्रोता आदि से अंत तक कार्यक्रम से जुड़े रहे।
प्रांतीय मंत्री देवेश मिश्र ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी कवियों, शिक्षकों तथा श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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