कोलकाता:: पश्चिम बंगाल सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भेजा है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। राजभवन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गवर्नर ने दत्ता का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया है।
साल 2017 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने उन्हें राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त किया था। करीब चार साल तक हाई कोर्ट समेत विभिन्न न्यायालयों में उन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन अधिकतर मामलों में हार का मुंह देखना पड़ा था। दावा किया जा रहा था कि मुख्यमंत्री उनसे बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं।
इस बीच मंगलवार को उन्होंने जो अपना इस्तीफा भेजा है उसमें व्यक्तिगत कारणों की वजह से कार्य से रिहाई मांगी है। उन्होंने लिखा है, “मैं व्यक्तिगत कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया मेरे इस्तीफे को स्वीकार कर लिया जाए। पश्चिम बंगाल सरकार के साथ काम करने का मेरा अनुभव अच्छा रहा है।”
उन्होंने अपने इस्तीफे की प्रति पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और कानून मंत्री मलय घटक को भी भेजी है। इधर राज्यपाल ने इस्तीफे को स्वीकार करने की जानकारी ट्विटर पर दी है। उन्होंने लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है। वह बंगाल के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे।
दरअसल नारद स्टिंग ऑपरेशन मामला हो या चिटफंड अथवा चुनाव बाद हिंसा की सीबीआई जांच संबंधी याचिकाओं, हर मामले में अदालती सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को विफलता हासिल हुई थी जिसके बाद दावा किया जा रहा था कि मुख्यमंत्री के साथ किशोर दत्ता की अनबन चल रही है।